रूस ने शुरू किया सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, चीनी सेना भी हुई शामिल

रूस ने शुरू किया सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, चीनी सेना भी हुई शामिल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-11 16:16 GMT
रूस ने शुरू किया सबसे बड़ा युद्धाभ्यास, चीनी सेना भी हुई शामिल
हाईलाइट
  • इसे वोस्तोक-2018 नाम दिया गया है।
  • पूर्वी साइबेरिया में यह सैन्य अभ्यास किया जा रहा है। इसमें चीन और मंगोलिया की कुछ सैन्य टुकड़ियां भी शामिल हुई हैं।
  • रूस ने अपने इतिहास का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास मंगलवार को शुरू किया।

डिजिटल डेस्क, मॉस्को। रूस ने अपने इतिहास का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास मंगलवार को शुरू किया। इसे वोस्तोक-2018 नाम दिया गया है। पूर्वी साइबेरिया में यह सैन्य अभ्यास किया जा रहा है। इसमें चीन और मंगोलिया की कुछ सैन्य टुकड़ियां भी शामिल हुई हैं। बता दें कि 2003 से अब तक रूस और चीन की सेनाएं करीब 30 बार साझा सैन्य अभ्यास कर चुकी हैं, लेकिन वोस्टॉक में पहली बार चीन रूस के साथ रणनैतिक स्तर पर युद्धाभ्यास कर रहा है।

रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक युद्धाभ्यास में 3 लाख सैनिक, 1,000 विमान, 36,000 सैन्य वाहन और 80 युद्धपोत शामिल हो रहे हैं। इसमें टी-80 और टी-90 टैंक, परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम इस्कंदर मिसाइल, सुखोई-34 और सुखोई-35 जैसे अतिआधुनिक लड़ाकू विमान भी शामिल हो रहे हैं। युद्धाभ्यास पांच जगहों पर हो रहा है। इनमें जापानी सागर, बेरिंग सागर और ओखोत्स्क सागर भी शामिल हैं। ये युद्धाभ्यास11-17 सितंबर तक चलेगा। विशेषज्ञों को सबसे ज्यादा हैरानी युद्धाभ्यास में चीन की शिरकत से हो रही है। चीन के 3,000 सैनिक विमानों और हेलिकॉप्टरों के साथ इसमें शामिल हो रहे हैं।

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी युद्धाभ्यास को देखने के लिए पहुंच सकते हैं। दरअसल, रूस के सुदूर पूर्वी शहर व्लादिवोस्तोक में आर्थिक सम्मेलन आयोजित किया गया है। पुतिन इसमें हिस्सा ले रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इसमें शामिल हो रहे हैं। बताया जाता है कि पुतिन आर्थिक सम्मेलन के बाद युद्धाभ्यास देखने जा सकते हैं हालांकि जिनपिंग के इसमें शामिल होने के बारे में स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने मंगलवार को संवाददातओं से कहा कि ये काफी महत्वपूर्ण अभ्यास है, लेकिन ये सैन्य बलों की प्रगति का नियमित वार्षिक अभियान है।

यूरोपीय काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में जर्मनी के सीनियर पॉलिसी फेलो गुस्ताव ग्रेजेल के मुताबिक चीन लंबे समय से इस लम्हे के इंतजार में था। बीजिंग रूस के साथ अभ्यास को सिर्फ आतंकवाद विरोधी या पुलिस कार्रवाई के दायरे तक सीमित नहीं रखना चाहता। वह रूस से असली युद्ध की कला सीखना चाहता है। ग्रेजल ने कहा कि चीन के पास भले ही आधुनिक अस्त्र हों, लेकिन अफसरों की ट्रेनिंग, सेना की आवाजाही, तैनाती और कमांड के मामले में वह रूस के काफी पीछे है।  

 

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