पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति हुई और भी बुरी - एशिया फोरम

पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति हुई और भी बुरी - एशिया फोरम

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-22 05:23 GMT
पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति हुई और भी बुरी - एशिया फोरम

डिजिटल डेस्क, ब्रुसेल्स। साउथ एशिया डेमोक्रैटिक फोरम (SADF) ने यूरोपियन यूनियन (EU) की उस रिपोर्ट की आलोचना की है जिसमे कहा गया था कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति सुधर रही है। SADF के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि इस्लामाबाद की "मारो और फेंको" पॉलिसी पहले से भी बदतर स्तर पर पहुंच गई है। बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के हनन के सैकड़ों मामलों को देखने के बावजूद यूरोपियन यूनियन ने इस तरफ आंखे मूंद ली है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

मानवाधिकार की स्थिति पहले से बुरी
SADF के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर पाउलो कसाका ने कहा कि वह इस बात से सहमत नहीं हो सकते कि पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति में सुधार आ रहा है। उन्होंने कहा कि उनके पास इस बात के सबूत हैं जिससे साबित हो सके कि स्थिति वास्तव में पहले से भी बुरी हो गई है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान में मानवाधिकार कार्यकर्ताओ के अपहरण अभी भी जारी है। अपहरण के बाद उन्हें मार दिया जाता है। जब इनके शव मिलते है तो उन पर टॉर्चर के निशान होते है।

 



ऐमनेस्टी इंटरनैशनल रिपोर्ट का दिया हवाला
कसाका ने 2017-18 की ऐमनेस्टी इंटरनैशनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, "शवों को क्षत विक्षत करना इस बात का प्रतीक है कि पाकिस्तान का कानून कमजोर लोगों को निशाना बनाता है, जिनमें अल्पसंख्यक, गरीब, मानसिक रोगी और बच्चे शामिल हैं।" कसाका ने अपने लेख में फेसबुक पर एक कथित ईशनिंदा वाले पोस्ट का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "बीते साल जून में फेसबुक पर एक कथित ईशनिंदा वाले पोस्ट को लेकर तैमूर रजा को पंजाब प्रांत में आंतकरोधी अदालत ने मौत की सजा सुनाई। सितंबर में एक ईसाई नदीम जेन्म को कोर्ट ने वॉट्सऐप पर ईशनिंदा वाली कविता साझा करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई।"

आसिया केस का भी किया जिक्र
इसके अलावा नवंबर 2010 में एक जिला कोर्ट ने ईसाई महिला आसिया बीबी उर्फ आसिया नौरीन को ईशनिंदा के आरोप में ही मौत की सजा सुनाई थी। इस मामले का भी जिक्र कसाका ने किया। इस महिला दया याचिका को भी हाईकोर्ट ने 2014 में ठुकरा दिया था। हालांकि 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने कुछ समय के लिए आसिया की मौत की सजा पर रोक लगा दी। फिलहाल आसिया जेल में है। कसाका बताते है कि आसिया का अपराध सिर्फ इतना था कि उसने एक ऐसे कप मे पानी पिया था जो सिर्फ मुस्लिमों के लिए था।

 



क्या है PAK का ईशनिंदा कानून?

  • इस कानून की जड़ें 19वीं सदी के ब्रिटिश साम्राज्य के नियमों पर आधारित हैं।
  • 1980 के दशक में जियाउल हक के राष्ट्रपति बनने के बाद इसे एक बार फिर बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया।
  • इस कानून के तहत कोई भी इस्लाम या पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ बोलेगा, तो उसे मौत की सजा दी जाएगी।
  • अगर मौत की सजा नहीं दी जाती है तो इस व्यक्ति को या तो आजीवन कारावास झेलना पड़ेगा और साथ ही जुर्माना देना पड़ेगा।
  • पाकिस्तान की जनसंख्या में से 4 प्रतिशत ईसाई नागरिकों का कहना है कि इस कानून से उन्हें नुकसान होता है।
  • उनका कहना है कि कई बार इस कानून से संबंधित शिकायतें निजी दुश्मनी में बदला लेने के लिए की जाती है।

 

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