श्रीलंका : महिंद्रा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा, फिर प्रधानमंत्री बनेंगे विक्रमसिंघे

श्रीलंका : महिंद्रा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा, फिर प्रधानमंत्री बनेंगे विक्रमसिंघे

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-15 10:37 GMT
श्रीलंका : महिंद्रा राजपक्षे ने दिया इस्तीफा, फिर प्रधानमंत्री बनेंगे विक्रमसिंघे
हाईलाइट
  • राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना दिलाएंगे विक्रमसिंघे को शपथ
  • विक्रमसिंघे और मैत्रीपाला में फोन पर हुई बात
  • श्रीलंका में खड़ा हो गया था संवैधानिक संकट

डिजिटल डेस्क, कोलंबो। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के बाद हाल ही में बर्खास्त किए रानिल विक्रमसिंघे को दोबारा प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना बर्खास्त पीएम विक्रमसिंघे को दोबारा नियुक्त करने को तैयार हो गए हैं। मैत्रीपाला ने शुक्रवार को विक्रमसिंघे से फोन पर बात की थी। 


विक्रमसिंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) ने कहा कि फोन पर तय किया गया था कि रविवार सुबह 10 बजे उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई जाएगी। बता दें कि 26 अक्टूबर को श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री बना दिया था। इसके बाद से ही देश में संवैधानिक संकट का खतरा पैदा हो गया था। अपनी बर्खास्तगी को विक्रमसिंघे ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री बनाने के बाद सोमवार को नए मंत्रिमंडल को शपथ दिलाई जा सकती है। मंत्रिमंडल में श्रीलंका फ्रीडम पार्टी के 6 सांसदों सहित 30 सदस्यों को शामिल किया जाएगा। महिंद्रा राजपक्षे के बेटे नमाल ने ट्वीट किया कि देश में स्थिरता लाने के लिए राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का फैसला किया है।

बता दें कि श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल की शुरुआत 26 अक्टूबर को हुई थी जब तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर प्रेसिडेंट मैत्रिपाला सिरिसेना ने पूर्व राष्ट्रपति महिंद्रा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई थी। श्रीलंका की राजनीति में अचानक इस तरह का बदलाव इसलिए आया था क्योंकि सिरिसेना की पार्टी यूनाइटेड पीपल्स फ्रीडम (UPFA) ने रानिल विक्रमेसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (UNP) के साथ गठबंधन तोड़ लिया था। इसके बाद मैत्रिपाला सिरिसेना ने 225 सदस्यीय संसद को भंग कर दिया था। संसद भंग होने के बाद श्रीलंका में तयशुदा कार्यक्रम से दो साल पहले 5 जनवरी को चुनाव की घोषणा की गई थी। इसके लिए 19 नवंबर से 26 नवंबर के बीच नामांकन किए जाने थे। विक्रमसिंघे ने संसद भंग करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद संसद भंग के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। इतना ही नहीं अदालत ने चुनाव की तैयारियों पर भी रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस नलिन परेरा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया था।

सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद 122 सांसदों की ओर से महिंद्रा राजपक्षे और उनकी सरकार के खिलाफ याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने महिंद्रा राजपक्षे के प्रधानमंत्री के रूप में काम करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट का ये आदेश राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना के लिए एक झटके की तरह था क्योंकि उन्होंने ही रानिल विक्रमसिंघे की जगह राजपक्षे को पीएम पद की शपथ दिलाई थी। कोर्ट की इस रोक के बाद राजपक्षे ने कहा था कि वह कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में वह इसके खिलाफ अपील करेंगे।

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