यौन हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाएं बनीं 'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर'

यौन हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाएं बनीं 'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर'

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-06 18:45 GMT
यौन हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिलाएं बनीं 'टाइम पर्सन ऑफ द ईयर'

डिजिटल डेस्क, न्यूयॉर्क। टाइम मैगजीन ने साल 2017 के लिए "पर्सन ऑफ द ईयर" की घोषणा कर दी है। इस साल यौन हिंसा के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाली सभी महिलाएं को टाइम मैगजीन ने "पर्सन ऑफ द ईयर-2017" चुना है। मैगजीन ने इन सभी महिलाओं को "द साइलेंस ब्रेकर्स" नाम दिया है।


बता दें कि इस साल यौन हिंसा के खिलाफ सोशल मीडिया पर चलाया गया #MeToo कैंपेन काफी चर्चा में रहा है। इस कैंपेन के तहत दुनियाभर की लाखों महिलाओं ने अपने साथ हुई यौन हिंसा को शेयर किया था। भारत में भी कई महिलाओं ने इस कैंपेन के तहत खुलासे किए। यौन हिंसा के खिलाफ यह अभियान हॉलीवुड एक्ट्रेस एश्ले जुड के उस पोस्ट से शुरू हुआ था, जिसमें उन्होंने हॉलीवुड दिग्‍गज हार्वी वाइंस्टाइन के खिलाफ यौन हिंसा का आरोप लगाया था। इसके बाद यौन हिंसा के खिलाफ बोलने वालों की बाढ़ सी आ गई। देखते ही देखते इस अभियान ने वैश्विक रूप ले लिया था। #Metoo अभियान में कईं महिलाओं ने हिस्‍सा लिया और खुलकर अपनी बात लोगों के सामने रखी।

टाइम मैगजीन ने इन सभी महिलाओं को "टाइम पर्सन ऑफ द ईयर 2017" चुनकर यौन हिंसा के खिलाफ आवाज बूलंद करने का संदेश दिया है। टाइम मैगजीन के पर्सन ऑफ द ईयर की दौड़ में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी शामिल थे। टाइम मैगजीन ने डोनाल्ड ट्रम्प को फर्स्ट रनर अप और शी जिनपिंग को सेकंड रनर अप चुना।

बता दें कि टाइम पर्सन ऑफ द ईयर अवार्ड पहली बार 89 साल पहले 1927 में दिया गया था। 1999 तक इस अवार्ड को टाइम मैन ऑफ द ईयर नाम से जाना जाता था। हाल के कुछ सालों में मैगजीन ने अंतिम चयन से पहले पाठकों की राय जानने के लिए ऑनलाइन रीडर्स पोल भी शुरू किया है।

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