इराक में मारे गए 39 भारतीयों के परिवारों को 10 -10 लाख का मुआवजा

इराक में मारे गए 39 भारतीयों के परिवारों को 10 -10 लाख का मुआवजा

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-03 08:39 GMT
इराक में मारे गए 39 भारतीयों के परिवारों को 10 -10 लाख का मुआवजा
हाईलाइट
  • ये सभी लोग मोसुल में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। 39 भारतीयों के साथ-साथ 50 बांग्लादेशियों को भी किडनैप कर लिया गया था।
  • इराक के मोसूल में 39 भारतीयों को आतंकी संगठन ISIS ने मार डाला था
  • जिसमें से 38 लोगों के शवों के अवशेष सोमवार को भारत लाए गए।
  • इराक में मरने वालों में सबसे ज्यादा 27 लोग पंजाब से ही हैं।
  • जून 2014 में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के इराक के मोसुल शहर में कब्जा करने के बाद 40 लोग लापत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इराक के मोसूल शहर में मारे गए 39 भारतीयों के परिवारों को केंद्र सरकार ने  10-10 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का ऐलान किया। दरअसल, इराक के मोसूल में 39 भारतीयों को आतंकी संगठन ISIS ने मार डाला था, जिसमें से 38 लोगों के शवों के अवशेष सोमवार को भारत लाए गए। विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह सोमवार को इराक से एयरफोर्स के विशेष विमान से अवशेष लेकर अमृतसर पहुंचे थे। बता दें कि इराक में मरने वालों में सबसे ज्यादा 27 लोग पंजाब से ही हैं। 

पंजाब सरकार ने भी किया मुआवजे का ऐलान

जनरल वीके सिंह का विमान सोमवार दोपहर करीब 2:30 बजे अमृतसर एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। इस दौरान कई पार्टियों के नेता भी वहां मौजूद रहे। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार की तरफ से नवजोत सिंह सिद्धू एयरपोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि "इराक में मारे गए पंजाब के सभी लोगों के परिवारों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही परिवार के एक सदस्य को उनकी योग्यता के अनुसार सरकारी नौकरी भी दी जाएगी।" 

वीके सिंह बोले- बिस्कुट बांटने का काम नहीं है

सोमवार को अमृतसर एयरपोर्ट पर जनरल वीके सिंह जब इराक से लौटे, तो एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की। इसी दौरान एक पत्रकार ने वीके सिंह से इन भारतीयों के लिए मुआवजे का सवाल पूछा। इसका जवाब देते हुए वीके सिंह ने झल्लाते हुए कहा कि "ये कोई बिस्कुट बांटने वाला काम नहीं है। ये आदमियों की जिंदगी का सवाल है। मैं अभी कहां से ऐलान करूं? जेब में कोई पिटारा थोड़ी ही रखा हुआ है?" इसके आगे उन्होंने कहा कि "बहुत मुश्किल से इनके DNA सैंपल को मैच किया जा सकता है। इसके लिए इराक सरकार का भी धन्यवाद।" उन्होंने बताया कि वो खुद 4 बार इराक गए, जिसके बाद ही भारतीयों के शवों को भारत लाना मुमकीन हो सका।

 



ताबूत में सिर्फ बाल और कड़े ही मिले

विदेश मंत्रालय ने सोमवार को सख्त हिदायत दी थी कि इन अवशेषों पर कई तरह के कैमिकल लगाए गए हैं, जिससे सेहत को खतरा है। लिहाजा इन ताबूतों को न खोला जाए। हालांकि इसके बाद भी कई परिवारों ने इन ताबूतों को खोलकर देखा और जैसे ही ताबूत खोला तो दंग रह गए। दरअसल, एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब के रहने वाले मनजिंदर सिंह, जो इराक में मारे गए थे। उनका ताबूत जब उनकी बहन गुरपिंदर कौर ने खोलकर देखा तो वो खुद को संभाल नहीं सकी। दरअसल, ताबूत में सिर्फ कुछ हड्डियां, बाल, कड़ा और कुछ कपड़े ही मौजूद थे। इसी तरह से कई और परिवारों ने भी विदेश मंत्रालय की हिदायत के खिलाफ जाते हुए ताबूत खोला, तो फूट-फूटकर रोने लगे।

 



1 भारतीय का शव क्यों नहीं आया?

इराक में मारे गए 39 भारतीयों में से अभी 38 लोगों के शव आ चुके हैं, लेकिन एक भारतीय का शव अभी भी नहीं आ पाया है। ऐसा इसलिए क्योंकि बिहार के रहने वाले राजू कुमार यादव की DNA रिपोर्ट अभी पैंडिंग है, जिस कारण उनके अवशेष ले जाने के लिए इराक सरकार की तरफ से क्लियरेंस नहीं मिला है। दरअसल, राजू यादव का DNA 70% तक ही मिल पाया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में जानकारी देते हुए बताया था कि एक शख्स का DNA पूरी तरह मैच नहीं हो पाया है, क्योंकि उसके माता-पिता का देहांत हो चुका है। बताया जा रहा है कि राजू कुमार यादव के परिवार के बाकी सदस्यों का DNA भेजा गया है, जिसकी रिपोर्ट अगले हफ्ते तक आ सकती है।

कैसे लगाया गया शवों का पता?

- विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया था कि इराक के मोसुल को जब ISIS के कब्जे से छुड़ाया गया, तो उसके बाद वीके सिंह मोसुल गए थे। उन्होंने वहां भारतीयों की तलाश के लिए आसपास के लोगों से पूछताछ की। 
- पूछताछ में पता चला कि ISIS ने कुछ लोगों को मारकर उनके शवों को बदूश शहर में एक टीले के नीचे दफना दिया है। जिसके बाद वीके सिंह बदूश शहर की तरफ गए।
- बदूश पहुंचकर वीके सिंह ने इराकी सरकार से डीप पेनीट्रेशन की मांग की। इसके जरिए पता चला कि टीले के नीचे 39 शव दबे हुए हैं।
- इसके बाद पहाड़ को खुदवाकर सभी शवों को निकाला गया। इन शवों के पास से कुछ कड़े भी मिले थे और कुछ लोगों के बाल भी लंबे थे, जिससे इनके भारतीय होने का अंदेशा हुआ।
- शव मिल जाने के बाद लापता भारतीयों के परिजनों से DNA लिया गया और सभी शवों का DNA टेस्ट कराया गया। 
- DNA टेस्ट में पता चला कि ये शव उन्हीं  भारतीयों के हैं, जो जून 2014 में लापता हो गए थे। 39 शवों में से 38 के DNA 100% मैच हो गए थे, जबकि एक शख्स का DNA 70% तक मैच हो पाया था।
- जब इस बात की पुष्टि हो गई कि सभी भारतीयों को मार दिया गया है, तो सुषमा स्वराज ने संसद में इसकी जानकारी दी।

2014 में लापता हुए थे 40 भारतीय

जून 2014 में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के इराक के मोसुल शहर में कब्जा करने के बाद 40 लोग लापता हो गए थे। इनमें से हरजीत मसीह को बांग्लादेशी नागरिक अली बताकर वापस भेज दिया गया था, जबकि 39 लोग ISIS के चंगुल में ही थे। ये सभी लोग मोसुल में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। 39 भारतीयों के साथ-साथ 50 बांग्लादेशियों को भी किडनैप कर लिया गया था। बता दें कि इससे पहले तक उम्मीद थी कि सभी लोग इराक में किसी जेल में बंद हो सकते हैं।

इराक में कौन भारतीय मारे गए थे?

पंजाब :
धरमिंदर कुमार, हरीश कुमार, हरसिमरत सिंह, कंवलजीत सिंह, मलकीत सिंह, रणजीत सिंह, सोनू, संदीप कुमार, मनजिंदर सिंह, गुरचरण सिंह, बलवंत राय, रूप लाल, देविंदर सिंह, कुलविंदर सिंह, जतिंदर सिंह, निशान सिंग, गुरदीप सिंह, कमलजीत सिंह, गोबिंदर सिंह, प्रीतपाल सिंह, सुखविंदर सिंह, जसवीर सिंह, परमिंदर कुमार, बलवीर चंद, सुरजीत मेनका, नंद लाल और राकेश कुमार।

हिमाचल प्रदेश : अमन कुमार, संदीप सिंह राणा, इंदरजीत और हेमराज।

बिहार : संतोष कुमार सिंह, बिंध्यभूषण तिवारी, अदालत सिंह, सुनील कुमार कुशवाहा धर्मेंद्र कुमार और राजू कुमार यादव।

पश्चिम बंगाल : समर टीकादार और खोखन सिकंदर।

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