इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- दलितों के खिलाफ अपराध के मामले में भी नहीं होगी नियमित गिरफ्तारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- दलितों के खिलाफ अपराध के मामले में भी नहीं होगी नियमित गिरफ्तारी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-12 06:45 GMT
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- दलितों के खिलाफ अपराध के मामले में भी नहीं होगी नियमित गिरफ्तारी
हाईलाइट
  • SC/ST एक्ट मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
  • हाईकोर्ट ने आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी पर जाहिर की नाराजगी
  • हाईकोर्ट ने राजेश कुमार बनाम बिहार केस मामले के तहत आरोपियों की गिरफ्तारी पर लगाई रोक

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। देशभर में SC/ST एक्ट के विरोध के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक बड़ा आदेश दिया है। बेंच ने SC/ST एक्ट या अन्य कानून (जिसमें 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है) के तहत आरोपियों की तुरंत गिरफ्तारी पर नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने कहा वह उच्चतम न्यायालय के 2014 के एक आदेश द्वारा समर्थित CRPC के प्रावधानों का पालन किए बगैर एक दलित महिला और उसकी बेटी पर हमले के चार आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकती। 

हाईकोर्ट के जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने ये बात SC/ST एक्ट में केंद्र सरकार के अध्यादेश के बाद 19 अगस्त को दर्ज एक FIR को रद्द करने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान कही। दरअसल ये याचिका गोंडा के कांडरे थाने में राजेश मिश्रा के खिलाफ दलित महिला और उसकी बेटी से घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में लगाई थी। महिलाओं ने आरोपियों के खिलाफ  SC/ST एक्ट तहत मामला दर्ज कराया था। जिस पर राजेश मिश्रा ने याचिका को रद्द कराने के लिए कोर्ट में अपील की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में गिरफ्तारी से पहले अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य के केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए 2014 के फैसले का पालन किया जाए। इसी के साथ कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2 जुलाई 2014 को अनरेश बनाम बिहार केस मामले में फैसला सुनाया था। जिसमें बिना ठोस वजह के आरोपी की गिरफ्तारी की गई। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी प्रथा पर गंभीर आपत्ति जताई थी।

 गोंडा में दलित महिला ने दर्ज कराया था मामला
अनुसूचित जाति की महिला शिवराजी देवी ने 19 अगस्त 2018 को गोंडा के कांडरे थाने में राजेश मिश्रा व तीन अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई। जिसमें महिला का आरोप था कि 18 अगस्त 2018 को रात 11 बजे सुधाकर, राजेश, रमाकांत और श्रीकांत रंजिशन उसके घर में घुस आए। उसे और उसकी बेटी को जातिसूचक गालियां देने लगे। विरोध करने पर इन सभी लोगों ने उनके साथ मारपीट की, जबकि आरोपी पक्ष का कहना है कि उन्हें इस मामले में जबरन फंसाया जा रहा है। 


 

 

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