राज्यसभा में पास हुआ RTI अमेंडमेंट बिल, विपक्ष का जोरदार हंगामा

राज्यसभा में पास हुआ RTI अमेंडमेंट बिल, विपक्ष का जोरदार हंगामा

Bhaskar Hindi
Update: 2019-07-25 19:05 GMT
हाईलाइट
  • कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया
  • बिल के समर्थन में 117 वोट पड़े जबकि विरोध में सिर्फ 75 वोट पड़े
  • राज्यसभा ने गुरुवार को RTI अमेंडमेंट बिल को मंजूरी दे दी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा ने गुरुवार को सूचना का अधिकार संशोधन विधेयक (RTI अमेंडमेंट बिल) को मंजूरी दे दी। कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सदस्यों ने इसका कड़ा विरोध किया। विपक्ष बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजे जाने की मांग कर रहा था। हालांकि उनका ये प्रस्ताव 75 के मुकाबले 117 मतों से खारिज हो गया। लोकसभा में यह बिल पहले ही पारित हो चुका है।

सी एम रमेश, जिन्होंने हाल ही में बीजेपी में शामिल होने के लिए टीडीपी का साथ छोड़ दिया था, उन्हें कुछ सदस्यों को विपक्ष के प्रस्ताव पर वोटिंग की पर्ची देते हुए देखा गया। उप सभापति हरिवंश ने रमेश को अपनी सीट पर वापस जाने के लिए कहा क्योंकि कांग्रेस के सदस्य विप्लव ठाकुर और अन्य लोगों ने रमेश के हाथों से वोट की पर्ची को छीनने की कोशिश की। इसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया और विपक्षी सदस्य वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। हालांकि मतविभाजन का परिणाम सरकार के पक्ष में गया. बिल के पक्ष में 117 वोट पड़े जबकि विरोध में 75 वोट पड़े।

सीएम रमेश ने विपक्ष के मतदान को प्रभावित करने की कोशिश करने के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उनके पास संख्या नहीं है, उन्हें पता था कि वे हारने वाले हैं, इसलिए वे मुझ पर दोष डाल रहे थे।

विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने इस घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि आज पूरे सदन ने देख लिया कि सत्तारूढ़ बीजेपी ने चुनाव में 303 सीटें कैसे प्राप्त की थीं? उन्होंने दावा किया कि सरकार संसद को एक सरकारी विभाग की तरह चलाना चाहती है। उन्होंने इसके विरोध में विपक्षी दलों के सदस्यों के साथ वॉक आउट की घोषणा की। इसके बाद विपक्ष के अधिकतर सदस्य सदन से बाहर चले गए।

बता दें कि इस विधेयक में प्रावधान किया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त, सूचना आयुक्तों, राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा के अन्य निबंधन एवं शर्ते केंद्र सरकार तय करेगी। इन प्रावधानों के चलते विपक्ष ने सरकार पर आरटीआई कानून को कमजोर करने का आरोप लगाया। सरकार ने विपक्ष के इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार पारदर्शिता, जन भागीदारी और सरलीकरण के लिए प्रतिबद्ध है।

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