शिमला कहलाएगा श्यामला, बीजेपी सरकार कर रही नाम बदलने पर मंथन

शिमला कहलाएगा श्यामला, बीजेपी सरकार कर रही नाम बदलने पर मंथन

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-21 14:05 GMT
शिमला कहलाएगा श्यामला, बीजेपी सरकार कर रही नाम बदलने पर मंथन
हाईलाइट
  • इलाहबाद का नाम प्रयागराज किए जाने के बाद अब शिमला का नाम श्यामला करने पर बीजेपी सरकार विचार कर रही है।
  • कुछ दक्षिण पंती हिंदू संगठन भी नाम बदलने की मांग को लेकर कैंपेन चला रहे हैं।
  • शिमला को पहाड़ियों की रानी के रूप में भी जाना जाता है। 1864 में अंग्रेजों ने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इलाहबाद का नाम प्रयागराज किए जाने के बाद अब शिमला का नाम श्यामला करने पर बीजेपी सरकार विचार कर रही है। कुछ दक्षिण पंथी हिंदू संगठन भी नाम बदलने की मांग को लेकर कैंपेन चला रहे हैं। कहा जाता है कि देवी काली के अवतार श्यामला देवी से इस शहर को अपना नाम मिला था, लेकिन अंग्रेजों ने इसे शिमला में बदल दिया।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि देश भर के कई शहरों का नाम बदला गया है। पुराने ऐतिहासिक नामों का इस्तेमाल करने में कोई नुकसान नहीं है। "यदि लोग शिमला को श्यामला के रूप में दोबारा नामित करना चाहते हैं, तो प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।"

प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता हरभजन सिंह भज्जी ने शहर का नाम बदलने के इरादे पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या यह कदम राज्य के विकास को सुनिश्चित करेगा। उन्होंने तर्क दिया "औचित्य क्या है (शिमला के नाम को बदलने के लिए)। यह एक ऐतिहासिक शहर है और यदि आप इसका नाम बदलते हैं, तो यह उसकी पबहचान खो देगा। "उन्होंने कहा," शिमला नाम में क्या गलत है? क्या नया नाम विकास सुनिश्चित करेगा? राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने पर ध्यान देना चाहिए कि इन सब बातों में न पड़कर राज्य के विकास पर ध्यान दिया जाए।"

विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकर्ता अमन पुरी ने कहा कि शिमला को मूल रूप से श्यामला कहा जाता था। अंग्रेजों ने इसका नाम बदलकर शिमला कर दिया क्योंकि उन्हें इसका उच्चारण करने में मुश्किल होती थी। सोशल मीडिया पिछले कुछ दिनों से शहरों के नामकरण पर चर्चा चल रही है। इस बहस में कई लोगों ने नाम बदलने के पक्ष में है, जबकि कई इसका विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि शिमला को पहाड़ियों की रानी के रूप में भी जाना जाता है। 1864 में अंग्रेजों ने इसे ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया था। 1947 में भारत के आजादी मिलने तक शिमला ग्रीष्मकालीन राजधानी इस तरह से बनी रही। शिमला को बसाए जाने में सी. प्रैट कैनेडी की अहम भूमिका रही। कैनेडी को अंग्रेजों ने पहाड़ी रियासतों का पॉलिटिकल ऑफिसर नियुक्त किया था। सन 1822 में उन्होंने यहां पहला घर बनाया जिसे "कैनेडी हाउस" के नाम से जाना गया।

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