केन्द्र सरकार की SC में दलील- शादी को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी है एडल्टरी कानून

केन्द्र सरकार की SC में दलील- शादी को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी है एडल्टरी कानून

Bhaskar Hindi
Update: 2018-07-11 13:03 GMT
केन्द्र सरकार की SC में दलील- शादी को प्रोटेक्ट करने के लिए जरूरी है एडल्टरी कानून
हाईलाइट
  • खत्म न हो धारा 497
  • शादी जैसे पवित्र सम्बंधों के लिए यहा जरूरी है : केन्द्र
  • धारा 497 के खिलाफ याचिका पर केन्द्र का हलफनामा
  • याचिका में धारा-497 को बताया गया है एक लिंग भेदभाव करने वाली धारा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एडल्टरी को अपराध बताने वाली धारा 497 को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर केन्द्र सरकार ने बुधवार को अपना हलफनामा पेश किया है। इसमें केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इस याचिका को खारिज करने की मांग की है। सरकार की ओर से कहा गया है कि अगर एडल्टरी से जुड़ी धारा 497 को खत्म किया जाता है तो इससे शादी जैसा महत्वपूर्ण सम्बंध कमजोर होगा और इसकी पवित्रता को भी नुकसान होगा। ऐसे में इस धारा को खत्म करने की मांग करने वाली याचिका खारिज की जानी चाहिए। बता दें कि याचिका में अपील की गई है कि धारा-497 एक लिंग भेदभाव करने वाली धारा है, जिसके तहत पुरुषों को दोषी पाए जाने पर सजा दी जाती है, जबकि महिलाओं को नहीं। ऐसे में भेदभाव वाले इस कानून को गैर संवैधानिक घोषित किया जाना चाहिए।

इस याचिका के विरोध में केन्द्र सरकार ने कहा कि इस मामले में अभी कोई फैसला लेने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि फिलहाल लॉ कमिशन इस पर विचार कर रहा है। केन्द्र ने कहा, "धारा-497 शादी को सेफगार्ड करती है। यह प्रावधान, संसद ने विवेक का इस्तेमाल कर बनाया है ताकि शादी को प्रोटेक्ट किया जा सके। ये कानून भारतीय समाज के रहन-सहन और तानाबाना देखकर ही बनाया गया है। लॉ कमिशन इस मामले का परीक्षण कर रही है। उनकी फाइनल रिपोर्ट का इंतजार है।"

बता दें कि जनवरी में सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने एडल्टरी के मामले से जुड़ी धारा 497 पर सुनवाई को पांच जजों की संवैधानिक बेंच को ट्रांसफर कर दिया था। कोर्ट ने तब कहा था कि वर्तमान परिस्थितियों, लैंगिक समानता और लैंगिक संवेदनशीलता को देखते हुए इस धारा पर विचार किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा था जब संविधान महिला और पुरुष दोनों को बराबर मानता है तो आपराधिक मामलों में ये भेदभाव क्यों ? आगे की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी के सेक्शन 497 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इसी नोटिस पर केन्द्र ने बुधवार को अपना हलफनामा कोर्ट में पेश किया।

क्या है धारा 497
अगर कोई पुरुष किसी और शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से भी संबंध बनाता है तो ऐसे संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ उक्त महिला का पति एडल्टरी का केस दर्ज करा सकता है। इसके तहत पुरुष को दोषी पाए जाने पर 5 साल तक जेल की सजा हो सकती है। लेकिन इसमें संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ मामला दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है। बता दें कि यह धारा महज शादीशुदा महिला के साथ सम्बंध बनाने पर लगाई जाती है, बिना शादीशुदा महिला, सेक्स वर्कर या विधवा से सम्बंध बनाने पर इस धारा के तहत कोई मामला दर्ज नहीं किया जाता है।

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