पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता संशोधन बिल पर प्रदर्शन तेज, असम-मणिपुर सीएम गृहमंत्री से मिले

पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता संशोधन बिल पर प्रदर्शन तेज, असम-मणिपुर सीएम गृहमंत्री से मिले

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-14 15:05 GMT
पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता संशोधन बिल पर प्रदर्शन तेज, असम-मणिपुर सीएम गृहमंत्री से मिले
हाईलाइट
  • इस सम्बंध में असम और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की।
  • नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में विरोध प्रदर्शन तेज हो रहे हैं।
  • राजनाथ सिंह ने दोनों मुख्यमंत्रियों को स्थानीय लोगों के सभी अधिकारों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच असम और मणिपुर के मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। मुलाकात में दोनों मुख्यमंत्रियों ने इस मुद्दे पर गृहमंत्री को राज्य के स्थानीय लोगों की आपत्तियों से अवगत कराया। इनमें पूर्वोत्तर राज्य के लोगों के सांस्कृतिक और भाषाई पहचान और विरासत को खतरे वाली आपत्तियां शामिल थी। इस पर राजनाथ सिंह ने दोनों मुख्यमंत्रियों को स्थानीय लोगों के सभी अधिकारों की सुरक्षा का आश्वासन दिया।

इस सम्बंध में जल्द ही गृहमंत्री पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक भी करेंगे और इन राज्यों में सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के अधिकारों की सुरक्षा पर चर्चा करेंगे।

गौरतलब है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने नागरिकता संशोधन बिल इस शीत सत्र में लोकसभा से पास कर दिया गया है। यह बिल नागरिकता बिल, 1955 की जगह लेगा। संशोधित बिल के बाद भारत सरकार, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश  के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को छह साल भारत में गुजारने पर भारतीय नागरिकता प्रदान कर सकेगी। पहले यह जरूरी अवधि 12 साल थी। साथ ही इसके लिए जरूरी दस्तावेज भी अब अनिवार्य नहीं होंगे।

नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा से पास होने के बाद अब बजट सत्र में राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इस बिल को लेकर पूर्वोत्तर राज्यों में केन्द्र सरकार का जमकर विरोध हो रहा है। खासकर असम में प्रदर्शन का स्तर व्यापक है। कुछ जगहों पर प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी लिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बिल में संशोधन से हमारी सांस्कृतिक और भाषाई पहचान और विरासत को खतरा है। बांग्लादेश से हो रही अवैध घुसपैठ पूर्वोत्तर राज्यों को बर्बाद कर रही है, ऐसे में इस संशोधित बिल से अवैध घुसपैठ को और बढ़ावा मिलेगा।

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