दलित हिंसा : अपने सामने पिता को मरते देख रहा था बेटा, कंधे पर ले गया अस्पताल

दलित हिंसा : अपने सामने पिता को मरते देख रहा था बेटा, कंधे पर ले गया अस्पताल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-03 07:22 GMT
दलित हिंसा : अपने सामने पिता को मरते देख रहा था बेटा, कंधे पर ले गया अस्पताल

डिजिटल डेस्क, बिजनौर। सोमवार से भारत बंद के साथ शुरू हुई दलित हिंसा में अब तक 14 लोगों के मारे जाने की खबर सामने आ रही है। इस दलित हिंसा का सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार में देखने को मिला है। इसी बीच एक उत्तर प्रदेश के बिजनौर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने झकझोर दिया है। एक बेटा अपने 68 वर्षीय पिता को अपने सामने मरता हुआ देख रहा था, क्योंकि सड़क पर प्रदर्शनकारियों के कारण जाम लगा हुआ था। इसके बाद वह बेटा अपने बुजुर्ग पिता को कंधे पर लादकर अस्पताल ले गया।

जानकारी के अनुसार सोमवार को बिजनौर के बारुकी गांव निवासी रघुवर सिंह अपने बीमार 68 वर्षीय लोक्का सिंह पिता को एंबुलेंस से अस्पताल ले जा रहा था। इसी दौरान वे बीच सड़क पर प्रदर्शनकारियों के जाम में फंस गए। पिता लोक्का सिंह बेहताशा पेट दर्द से पीड़ित थे। उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। जाम में फंसने के कारण बेटा मजबूर हो गया था। तभी उसने पिता को कंधे पर लादा और अस्पताल पहुंच गया। मगर अफसोस की बात रही कि वो अपने पिता को नहीं बचा पाया। अस्पताल पहुंचते ही डॉक्टर्स ने लोक्का सिंह को मृत घोषित कर दिया।

32 वर्षीय रघुवर सिंह ने बताया कि उसके पिता क्रोनिक अस्थमा से पीड़ित थे। रविवार रात जब उनकी स्थिति खराब हो गई तो उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। जहां उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था। इसके बाद सोमवार को सुबह करीब 11.45 बजे डॉक्टरों ने हमें मेरठ मेडिकल कॉलेज या किसी प्राइवेट अस्पताल ले जाने को कहा गया। तभी वे शास्त्री चौक की ओर रवाना हुए जो जिला अस्पताल से एक किमी दूर है, लेकिन जुडगी क्रॉसिंग में उनकी एम्बुलेंस फंस गई।

पिता को कंधे पर उठाया और दौड़ना शुरू किया
रघुवर ने कहा कि मैं अपने पिता को अपने सामने बेइंतेहां दर्द में देख रहा था। मैंने प्रदर्शनकारियों से विनती की कि मुझे जाने दें, लेकिन किसी ने मेरी चीख नहीं सुनी। कोई भी अपनी जगह से जरा सा भी नहीं हिला। मैं ऐंबुलेंस के अंदर अपने पिता को मरते हुए देख सकता था। मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मैं किसी भी हालत में उन्हें बचाना चाहता था, इसलिए मैंने उन्हें कंधे पर उठाया और दौड़ना शुरू किया और अस्पताल ले आया।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी एक्ट पर दिए फैसले के खिलाफ सोमवार को दलित संगठनों ने भारत बंद बुलाया था, जिससे 12 राज्यों में जमकर हिंसा और तोड़फोड़ हुई। इस दौरान देशभर में 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि मध्य प्रदेश में ही अकेले 7 लोग मारे गए। भारत बंद के दौरान 150 से ज्यादा लोगों के घायल हुए हैं, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इसके अलावा सोमवार को 100 से ज्यादा ट्रेनों की आवाजाही पर असर पड़ा है।

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