पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से होंगे सम्मानित
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से होंगे सम्मानित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 10 साल देश तक देश की कमान संभाली और देश का नेतृत्व किया। बेहतरीन इकोनॉमिस्ट रहे मनमोहन सिंह को ग्लोबल लेवल पर भारत का ओहदा बढ़ाने के लिए इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार दिया जाएगा। आज इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट के सचिव सुमन दुबे ने बयान जारी कर कहा कि सिंह को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाली एक अंतरराष्ट्रीय ज्यूरी ने पुरस्कार के लिए सर्वसम्मति से चुना है।
ये पुरस्कार इंदिरा गांधी के जन्मदिन के मौके पर दिया जाता है। 19 नवंबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का 100वां जन्मदिन है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाली संस्था इंदिरा गांधी मेमोरिल ट्रस्ट ने शनिवार को मनमोहन सिंह को 2017 में शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार देने का ऐलान किया।
उनकी याद में स्थापित "इंदिरा गांधी मेमोरिल ट्रस्ट" साल 1986 से "इंदिरा गांधी शांति, निरस्त्रीकरण और विकास पुरस्कार" हर साल विश्व के किसी ऐसे व्यक्ति को देता है, जिसने समाज सेवा, निरस्त्रीकरण या विकास के कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। इस पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपए नकद, एक ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
मनमोहन सिंह सादगी और उच्च शिक्षा के लिए जाने जाते हैं
-मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब प्रांत के गाह बेगल गांव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में पड़ता है। देश विभाजन के बाद उनका परिवार (अमृतसर) भारत आ गया।
डॉक्टर मनमोहन सिंह को उनकी सादगी के अलावा उनकी उच्च शिक्षा के लिए भी सम्मानित स्थान प्राप्त है।
-बचपन से ही उनका पढ़ाई की ओर विशेष रुझान था। सिंह ने पंजाब विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में बी.ए (आनर्स) की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद साल 1954 में यहीं से एम.ए (इकोनॉमिक्स) में भी उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया।
-पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त करने के लिए वो कैंब्रिज विश्वविद्यालय गए जहां उन्हें उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए राइट्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
-ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेफिल्ड कॉलेज से मनमोहन सिंह ने डी. फिल की परीक्षा उत्तीर्ण की। मनमोहन सिंह पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में व्याख्याता के पद पर नियुक्त होने के बाद जल्द ही प्रोफेसर के पद पर पहुंच गए।
-मनमोहन सिंह ने दो वर्ष तक दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में भी अध्यापन कार्य किया। आज उन्हें दुनिया में एक कुशल इकोनॉमिस्ट के रूप में जानती है।
-सिंह को 1985 में राजीव गांधी के शासन काल में भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर उन्होंने निरन्तर पाँच सालों तक कार्य किया, जबकि 1990 में उनको प्रधानमंत्री का आर्थिक सलाहकार बनाया गया।
-जब पी वी नरसिंहराव प्रधानमंत्री बने, तो उन्होंने मनमोहन सिंह को 1991 में अपने मंत्रिमंडल में सम्मिलित करते हुए वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। साल 1991 से लेकर 1996 तक वो भारत के वित्त मंत्री रहे।
-अप्रैल 2004 में 72 वर्ष की आयु में वह प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए। वर्ष 2009 में कांग्रेस ने प्रधानमंत्री पद के लिए फिर उन्हीं पर भरोसा किया।