मप्र में कर्जदार किसानों को मुसीबत से बचाने की कोशिश

मप्र में कर्जदार किसानों को मुसीबत से बचाने की कोशिश

IANS News
Update: 2020-01-31 14:30 GMT
मप्र में कर्जदार किसानों को मुसीबत से बचाने की कोशिश
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भोपाल, 31 जनवरी (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश में जय किसान फसल ऋणमाफी योजना की जारी प्रक्रिया के बीच कई किसानों के मुसीबत में फंसने के आसार बनने लगे हैं, क्योंकि उन्होंने एक ही जमीन पर कई कर्ज ले रखे हैं। इन स्थितियों में सरकार की कोशिश है कि किसानों को किसी भी तरह की मुसीबत में डाले बिना तय सीमा तक का कर्ज माफ कर दिया जाए। इसके लिए सरकारी स्तर पर कवायद जारी है।

कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले किसानों का दो लाख तक का कर्ज माफ करने का वादा किया था। इसके तहत किसानों से आवेदन मंगाए गए, इसमें 49 लाख किसानों ने आवदेन किए। इसमें 37 लाख किसान पात्र पाए गए। पात्र पाए गए किसानों में से 22 लाख का 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ किया जा चुका है। वहीं सात लाख किसानों का कर्ज माफ किए जाने की प्रक्रिया जारी है। इसके बाद लगभग सात लाख किसानों का कर्ज माफ किया जाना बाकी रह जाएगा।

प्रशासनिक तौर पर मिली जानकारी के अनुसार, उन किसानों के कर्जमाफी में ही दिक्कत आ रही है। ये वे किसान हैं, जिनके अंगूठे के निशान नहीं मिल रहे हैं, जमीन दूसरे को बेची जा चुकी है, जमीन के वास्तविक मालिक का निधन हो चुका है, एक जमीन को कई वारिसों में बांटा जा चुका है, और उनके कई बैंकों में खाते हैं। इन समस्याओं के अलावा ऐसे भी मामले आए हैं, जिसमें एक व्यक्ति की जमीन दो जिलों में आती है, यानी जिलों की सीमा पर है। इतना ही नहीं, कुछ किसानों ने एक ही जमीन पर दो से ज्यादा बैंकों से कर्ज ले रखा है।

बैंकिंग के जानकारों के अनुसार, एक जमीन पर एक से ज्यादा बैंक से कर्ज लेना अपराध है, क्योंकि जब बैंक से कर्ज लिया जाता है तो उस जमीन को मॉडगेज किया जाता है, यह बात खसरा-खतौनी में भी दर्ज होती है, मगर जमीन मालिक राजस्व के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर रद्दोबदल कराकर दूसरे बैंक से भी कर्ज ले लेते हैं। यह अपराध है, क्योंकि जमीन की कीमत के अनुसार कर्ज लिया जा चुका है।

राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, किसान कर्जमाफी के लिए किसान के खाते का आधार कार्ड से लिंक होना जरूरी है। ऐसी स्थिति में किसान ने अगर एक से ज्यादा बैंक से कर्ज लिया है तो बात सामने आ जाती है। कई किसानों द्वारा एक से ज्यादा बैंक से कर्ज लिया गया। यह बात तो आ ही रही है, साथ ही एक जमीन के एवज में एक से ज्यादा बैंक से कर्ज लेने का खुलासा हो रहा है, जो अपराध है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार की मंशा है कि किसान किसी भी तरह की मुसीबत में न फंसे, बल्कि उसे सरकार की कर्जमाफी की योजना का लाभ मिल जाए, इसके लिए कवायद जारी है। सरकार की कोशिश है कि किसान का एक कर्ज माफ किया जाए, इसके लिए तरीका क्या हो सकता है, इस पर मंथन जारी है।

किसान नेता केदार सिरोही का कहना है कि कई किसान धोखे या साजिश का शिकार हो सकते हैं या कई ने खुद लाभ पाने कूटरचित दस्तावेज तैयार किए हों, यह बात तो जांच के बाद ही सामने आएगी। सरकार की मंशा कर्जमाफी है, इसलिए किसानों का कर्ज माफ हो रहा है।

मुख्यमंत्री कमल नाथ का कहना है कि हर पात्र किसान को समय-सीमा में योजना का लाभ मिले, यह सुनिश्चित किया जाए। द्वितीय चरण में प्रदेश के सात लाख किसानों के साढ़े चार हजार करोड़ रुपये के ऋण माफ होंगे। द्वितीय चरण में ऋणमाफी की प्रक्रिया में और अधिक तेजी लाई जाए। किसी भी प्रकार की कोताही न की जाए और किसान परेशान न हों।

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