ताजमहल पर हमारा हक : वक्फ, SC ने कहा- शाहजहां के दस्तखत लेकर आएं

ताजमहल पर हमारा हक : वक्फ, SC ने कहा- शाहजहां के दस्तखत लेकर आएं

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-11 03:31 GMT
ताजमहल पर हमारा हक : वक्फ, SC ने कहा- शाहजहां के दस्तखत लेकर आएं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड से शाहजहां के दस्तखत लाने को कहा है। दरअसल, कोर्ट में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ताज महल पर मालिकाना हक जताते हुए दावा किया है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने इसका मालिकाना हक बोर्ड को दिया था और इसके लिए शाहजहां ने वक्फनामा भी लिखा था। जिसके बाद चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने बोर्ड से शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज लाने को कहा है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड को एक हफ्ते का समय दिया है। बता दें कि ताज महल के मालिकाना हक को लेकर कई सालों से सुन्नी वक्फ बोर्ड और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के बीच विवाद चल रहा है।

आपके दावे पर कौन भरोसा करेगा : SC

यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने ताज महल के मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पिटीशन फाइल की है। जिस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वक्फ बोर्ड को शाहजहां के साइन किए हुए डॉक्यूमेंट्स लेकर आने को कहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने बोर्ड से कहा "आप वो दस्तावेज लेकर आएं, जिससे ये साबित हो कि ताजमहल आपकी संपत्ति है।" हालांकि बेंच ने ये भी कहा कि "इस बात पर कौन भरोसा करेगा कि ताज महल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इस तरह के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का समय नहीं बर्बाद करना चाहिए।"

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बोर्ड ने क्या कहा था?

वक्फ बोर्ड की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट वीवी गिरी ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि "ताज महल पर उनका मालिकाना हक है। इसके लिए शाहजहां ने ही बोर्ड के पक्ष में वक्फनामा तैयार करवाया था।" इसके बाद बेंच ने कहा कि आप हमें शाहजहां के साइन किए हुए डॉक्यूमेंट्स दिखा दें। इसके लिए कोर्ट ने बोर्ड को एक हफ्ते का समय दिया है।

शाहजहां जेल में था, तो साइन कैसे किए : SC

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने बोर्ड से सवाल करते हुए कहा कि "शाहजहां वक्फनामा पर साइन कैसे किए, वो तो जेल में था और जेल के अंदर से ही ताज महल को देखता था।" कोर्ट ने कहा कि "जब मुगल काल का अंत हुआ तो ताज महल समेत बाकी ऐतिहासिक इमारतों पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया। आजादी के बाद ये भारत सरकार के पास आ गया और अब ASI इसकी देखरेख करता है।"

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ASI का क्या है कहना?

वहीं वक्फ बोर्ड के इस दावे को ASI ने मानने से इनकार कर दिया है। ASI के वकील एडीएन राव ने कोर्ट से कहा कि "वक्फ बोर्ड ने ताज महल को लेकर जो दावा किया है, वैसा कोई वक्फनामा है ही नहीं।" ASI का कहना है कि "1858 की घोषणा के मुताबिक, आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की संपत्तियों पर ब्रिटिश महारानी का हक हो गया था। जबकि 1948 के कानून के तहत ये स्मारकें अब भारत सरकार के पास हैं।"

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