मेक इन इंडिया के जज्बे से होगी गूगल की हार, अब भारत को मिलेगा स्वदेशी ओपरेटिंग सिस्टम, बहुत जल्द एंड्रॉयड की जगह ले सकता है देश में बना BharOS, ये हैं खास फीचर्स

अब होगी एंड्रॉयड की छुट्टी! मेक इन इंडिया के जज्बे से होगी गूगल की हार, अब भारत को मिलेगा स्वदेशी ओपरेटिंग सिस्टम, बहुत जल्द एंड्रॉयड की जगह ले सकता है देश में बना BharOS, ये हैं खास फीचर्स

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Update: 2023-01-24 13:02 GMT
मेक इन इंडिया के जज्बे से होगी गूगल की हार, अब भारत को मिलेगा स्वदेशी ओपरेटिंग सिस्टम, बहुत जल्द एंड्रॉयड की जगह ले सकता है देश में बना BharOS, ये हैं खास फीचर्स
हाईलाइट
  • शुद्ध है भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत बीते कुछ वर्षों से मेक इन इंडिया पर काफी जोर दे रहा है। भारत सरकार पहले ही देश में बनी चीजों के इस्तेमाल पर जोर देती आ रही है। आत्मनिर्भर भारत की तरफ ये भारत सरकार का बड़ा और मजबूत कदम है। भारत सरकार आत्मनिर्भर बनने की ओर एक कदम और बढ़ा चुकी है। दरअसल, केंद्र सरकार ने एक नए मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को हरी झंडी दी है। इस सिस्टम की वजह से अब एंड्रॉयड और आईओएस जैसे ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल कम होने की संभावना है। देशवासी अब मेक इन इंडिया सॉफ्टवेटर का इस्तेमाल कर सकेंगे। देश में बने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को लॉन्च करने की लंबे समय से चर्चा चल रही थी। इसका नाम BharOS रखा गया है। 

शुद्ध है भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम 

दरअसल, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने BharOS की सफल टेस्टिंग में भाग लिया। जहां पर दोनों केंद्रीय मंत्री एक वीडियो कॉल का हिस्सा बने दिखाई दिए। बता दें कि, इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को आईआईटी मद्रास और एक एजेंसी ने तैयार किया है। आईआईटी मद्रास ने JandK ऑपरेशंस प्राइवेट लिमिटेड के साथ यह ओपरेटिंग सिस्टम तैयार किया है।  दरअसल, अभी हम जो मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं वो पूरी तरह से विदेशी है। अगर BharOS ऑपरेटिंग सिस्टम भारत में सफल होता है तो देश के करीब 100 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं को सीधे तौर पर फायदा होगा।

क्या है BharOS?

तकनीकी रूप से स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम BharOS एंड्रॉयड से काफी अलग है। भारत सरकार के मुताबिक,  BharOS एक एंड्रॉइड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है। इसे कॉमर्शियल ऑफ – द – शेल्फ हैंडसेट पर इंस्टॉल किया जा सकता है। BharOS एंड्रॉयड से ठीक उल्टा है। इसमें डिफ़ॉल्ट गूगल ऐप या अन्य सेवाएं नहीं हैं। जिसका अर्थ है कि, अगर यूजर्स को लगता है कि वो किसी विशेष ऐप को अपने मोबाईल में नहीं रखना चाहता है। कोई सुरक्षा कारणों या उसे पसंद न हो या किसी अन्य वजह से तो उसे इनबिल्ट ऐप रखने की मजबूरी नहीं होगी। BharOS के आ जाने के बाद यूर्जस को अब ढेरों इनबिल्ट एप्लीकेशन नहीं स्टोर करने पड़ेंगे। उपयोगकर्ता अपने इच्छा के अनुसार ऐप डाउनलोड कर पाएंगे।

BharOS है अधिक सुरक्षित

डेवलपर्स ने कहा है कि, BharOS सुविधाओं और सुरक्षा के मामले में एंड्रॉयड और आईओएस दोनों से बेहतर है। एंड्रॉयड की तरह BharOS भी नेटिव ओवर द एयर अपडेट देगा। जिसका अर्थ है कि, सॉफ्टवेयर ऑटोमैटिक रूप से डिवाइस पर डाउनलोड इंस्टॉल कर देगा। मेक इन इंडिया BharOS से भरोसेमंद ऐप इंस्टॉल किए जा सकेंगे। जिसे यूर्जस की प्राइवेसी बनी रहेगी। हालांकि, अभी इसका उपयोग केवल वहीं कंपनियां कर सकती हैं, जिन्हें प्राइवेसी की जरूरत है। इसके बाद इस ओपरेटिंग सिस्टम को दूसरे स्मार्ट फोन्स के जरिए लोगों तक पहुंचाया जाएगा।


 

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