सरकार ने 462 नए ईएमआरएस के निर्माण के लिए 2022 की समय सीमा तय की (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

सरकार ने 462 नए ईएमआरएस के निर्माण के लिए 2022 की समय सीमा तय की (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

IANS News
Update: 2020-08-28 16:01 GMT
सरकार ने 462 नए ईएमआरएस के निर्माण के लिए 2022 की समय सीमा तय की (आईएएनएस एक्सक्लूसिव)

नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्र सरकार ने 2022 तक आदिवासी छात्रों के लिए 462 नए एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) खोलने की परियोजना तेज कर दी है, जिसके तहत दूरदराज के क्षेत्रों में आदिवासी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कराई जाएगी।

इसका उद्देश्य भविष्य की जनजातीय पीढ़ी को उच्च और व्यावसायिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों में अवसरों का लाभ उठाने और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने में सक्षम बनाना है।

जनजातीय मंत्रालय के डाटा के अनुसार, 462 नए ईएमआरएस में से 92 ओडिशा में, 70 झारखंड में, 50 छत्तीसगढ़ में और 40 मध्य प्रदेश में स्थापित किए जाएंगे।

वर्ष 2018 की संशोधित ईएमआरएस स्कीम के तहत, वर्ष 2022 तक 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जनजाति (एसटी) आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय लोगों वाले प्रत्येक ब्लॉक में एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) होगा। ये विद्यालय नवोदय विद्यालयों के समानांतर होंगे और इनमें खेल और कौशल विकास में प्रशिक्षण के अतिरिक्त स्थानीय कला और संस्कृति के संरक्षण की विशेष सुविधाएं होंगी ।

एक सूत्र ने आईएएनएस को बताया कि आदिवासियों के कल्याण के लिए काम करने वाले प्रमुख मंत्रालय जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अधिकारियों को इस योजना में तेजी लाने के लिए कहा गया है। कोविड-19 महामारी के कारण योजना के तहत होने वाले तमाम कार्यों में कुछ बाधा जरूर उत्पन्न हुई है, इसलिए अधिकारियों को योजना के तहत आने वाले तमाम कार्यो को तेजी से निपटाने को कहा गया है।

इन स्कूलों में स्थानीय कला और संस्कृति के संरक्षण के लिए विशेष सुविधाएं होंगी। केंद्र की योजना के अनुसार, इन ईआरएमएस को चलाने के लिए नवोदय विद्यालय समिति की तर्ज पर एक स्वायत्त समाज की स्थापना की जाएगी।

ऐसे स्कूलों में 10 प्रतिशत सीटें गैर-अनुसूचित जनजाति के छात्रों को आवंटित की जाएंगी। ईएमआरएस स्टाफ के बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी।

जनजातीय कार्य मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार, 1997-98 में इसकी शुरूआत के बाद से मंत्रालय ने अब तक 271 ईएमआरएस मंजूर किए हैं, जिनमें से 190 को कार्यात्मक बनाया गया है, जबकि बाकी पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं।

ईएमआरएस की शुरूआत दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से, वर्ष 1997-98 में की गई थी, ताकि वे उच्च और व्यावसायिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों में अवसरों का लाभ उठा सकें और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकें।

जनगणना 2011 के अनुसार, समूचे देश में, 564 ऐसे उप-जिले हैं, जिनमें से 102 उप-जिलों में ईएमआरएस है।

एकेके/एएनएम

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