क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा देने में जुटी है मोदी सरकार

क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा देने में जुटी है मोदी सरकार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-24 16:48 GMT
क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा देने में जुटी है मोदी सरकार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरकार देश में क्रूज टूरिज्म के विस्तार पर तेजी से काम कर रही है। क्रूजों की सुविधा के लिए बंदरगाहों पर आधारभूत सुविधाआें का विकास किया जा रहा है। इसके साथ ही यात्रियों के आवागमन को ज्यादा सरल बनाया जा रहा है। दरअसल लंबे समुद्री तट होने के चलते भारत में क्रूज टूरिज्म की अपार संभावनाएं मौजूद हैं। क्रूज का मतलब समुद्र में चलता फिरता पांच या सात सितारा सुविधाओं वाला जहाज है। क्रूज टूरिज्म सिंगापुर सहित दूसरे देशों में पहले से लोकप्रिय है। लेकिन हाल के दिनों में भारत में भी इसका क्रेज बढ़ा है। एक अध्ययन के मुताबिक भारत में क्रूज टूरिज्म के लिए 40 लाख पर्यटकों की क्षमता है। केन्द्रीय जहाजरानी एवं परिवहन मंत्री नितीन गडकरी कहते हैं कि क्रूज टूरिज्म को बढ़ावा मिलने के बाद देश में ढाई लाख से ज्यादा लोगों को परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से राेजगार मिलेगा।

83 करोड़ से विकसित हो रहे 5 क्रूज टर्मिनल

केन्द्रीय टूरिज्म राज्य मंत्री के जे अल्फाेंस के मुताबिक देश के पांच प्रमुख बंदरगाहों मुंबई पोर्ट ट्रस्ट, मुर्मूगांव पोर्ट ट्रस्ट, कोचीन पोर्ट ट्रस्ट, एर्नाकुलम पोर्ट ट्रस्ट तथा चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट को क्रूज यात्रियों के चढ़ने, उतरने और क्रूज जहाजों की बर्थिंग (घाट लगाने) के लिए समर्पित टर्मिनलों तथा अन्य संबंधित अवसंरचना सहित क्रूजों को आकर्षित करने के लिए तैयार किया गया है। इन बंदरगाहों पर 83 करोड़ रुपए की लागत से क्रूज टर्मिनल के उन्नयन का काम चल रहा है।

देश में अभी हैं लगभग दो लाख क्रूज यात्री 

पोत परिवहन मंत्रालय के मुताबिक पिछले कुछ सालों में भारतीय पोतों पर क्रूज यात्रियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2003-04 में देश में जहां 55 क्रूज आते थे, वहीं वर्ष 2016-17 में क्रूजों की आगमन संख्या बढ़कर 166 हो गई है। आधारभूत सुविधाएं बढ़ने पर इनकी संख्या प्रतिवर्ष 955 तक बढ़ने की संभावना है। भारत में क्रूज यात्रियों की संख्या वर्ष 2003-04 में 28 हजार थी जो वर्ष 2016-17 में बढ़कर एक लाख 92 हजार हो गई है। क्रूज इंडस्ट्री न्यूज इन्युअल के मुताबिक वर्ष 2016 में विश्व में 310 क्रूजों में कुल 4,96,653 सीटें उपलब्ध थी। हालांकि इसमें भारत की हिस्सेदारी महज एक फीसद ही थी।

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