HC का फैसला : बाबू बजरंगी मौत तक जेल में रहेगा, माया कोडनानी बरी

HC का फैसला : बाबू बजरंगी मौत तक जेल में रहेगा, माया कोडनानी बरी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-20 02:26 GMT
HC का फैसला : बाबू बजरंगी मौत तक जेल में रहेगा, माया कोडनानी बरी

डिजिटल डेस्क, अहमदाबाद। 2002 में गुजरात दंगों के दौरान हुए नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में गुजरात हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक दोषी बाबू बजरंगी मौत तक जेल में रहेगा। वहीं माया कोडनानी को निर्दोष करार दिया गया है, कोडनानी को विशेष अदालत ने 28 साल की सजा सुनाई थी। बताया जा रहा है कि कोडनानी को संदेह का लाभ की वजह से निर्दोष करार दिया गया। इसके अलावा कोर्ट ने मुरली नारायणभाई, किरण कोररी, सुरेश लंगाडो को दोषी करार दिया गया है। इस केस में स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी विधायक माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 को दोषी ठहराया था। इन्हीं की अर्जी पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। बता दें कि नरोदा पाटिया में हुए दंगे में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस कांड में 33 लोग घायल भी हुए थे। नरोदा पाटिया नरसंहार को गुजरात दंगे के दौरान हुआ सबसे भीषण नरसंहार भी कहा जाता है। 

32 आरोपियों में से 17 बरी

नरोदा नरसंहार मामले में कुल 32 आरोपी थे, जिनमें से माया कोडनानी समेत 17 को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। वहीं 12 दोषियों की सजा बरकरार रखी गई है। 2 आरोपियों पर फैसला आना बाकी है, जबकि 1 आरोपी की मौत हो चुकी है।

 

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SIT ने की थी जांच

16 साल पहले 28 फरवरी 2002 को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में सबसे बड़ा नरसंहार हुआ था। अब तक का गुजरात का ये सबसे विवादास्पद केस भी है। ये गुजरात दंगों से जुड़े नौ मामलों में एक है, जिनकी जांच एसआईटी ने की थी। इससे पहले 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगियां जलाने की घटना के बाद अगले रोज जब गुजरात में दंगे की लपटें उठीं तो नरोदा पाटिया सबसे बुरी तरह जला था।

 


 

फैसला सुरक्षित रखा गया था

जस्टिस हर्षा देवानी और जस्टिस ए.एस. सुपेहिया की पीठ ने मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद पिछले साल अगस्त में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। अगस्त 2012 में एसआईटी मामलों के लिए विशेष अदालत ने राज्य की पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता माया कोडनानी समेत 32 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कोडनानी को 28 साल के कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी को जीवनपर्यन्त आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

 

 

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अगस्त 2009 में शुरू हुआ था केस

इसके साथ ही सात अन्य आरोपियों को 21 साल के आजीवन कारावास और बचे आरोपियों को 14 साल के साधारण आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हालांकि निचली अदालत ने सबूतों के अभाव में 29 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था, जहां दोषियों ने निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी, वहीं विशेष जांच दल ने 29 लोगों को बरी किए जाने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस नरसंहार केस में मुकदमा अगस्त 2009 में शुरू हुआ था। उस समय कुल 62 आरोपी बनाए गए थे।

 


 

माया कोडनानी ने लोगों को उकसाया था

मामले की सुनवाई के दौरान एक अभियुक्त विजय शेट्टी की मौत भी हो गई थी। जिसके बाद पिछले साल विशेष अदालत ने माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 32 लोगों को दोषी करार दिया था। नरोदा पाटिया दंगे के बारे में SIT ने कोर्ट से कहा था कि घटना वाली सुबह शोक सभा में शामिल होने के बाद माया कोडनानी उस इलाके में गई थीं, वहां उन्होंने लोगों को अल्पसंख्यकों पर हमले के लिए उकसाया।

 

हालांकि कोडनानी के वकील ने अदालत में दलील दी थी कि उनके खिलाफ सबूत पर्याप्त नहीं हैं। नरोदा पाटिया मामले में कुल 11 रिव्यू पिटीशन फाइल की गई थी, जिसमें एसआईटी के जरिए 4 पिटीशन फाइल की गई थी।  
 

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