नरोदा गाम दंगा : शुरू से अब तक वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

Naroda gam riot : everything that you want to know from the beginning till now
नरोदा गाम दंगा : शुरू से अब तक वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं
नरोदा गाम दंगा : शुरू से अब तक वो सब कुछ जो आप जानना चाहते हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 28 फरवरी 2002 में नरौदा गाम में हुए दंगा मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री एवं भाजपा नेता माया कोडनानी की ओर से बचाव पक्ष के गवाह के रूप में विशेष एसआईटी अदालत में अपना बयान दर्ज कराया। अमित शाह ने कोर्ट को बताया कि नरोदा गाम दंगों के दौरान माया कोडनानी गुजरात विधानसभा में मौजूद थीं। उन्होंने कहा वह घटना वाले दिन सुबह सोला सिविल अस्पताल में माया कोडनानी से मिले थे। सन 2002 के दंगा मामले की सुनवाई कर रही अदालत को अमित शाह ने बताया कि पुलिस उन्हें और माया कोडनानी को सुरक्षित स्थान पर ले गई थी, क्योंकि गुस्साई भीड़ ने उन्हें अस्पताल में घेर लिया था। अहमदाबाद अदालत को अमित शाह ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं कि सिविल अस्पताल से पुलिस द्वारा सुरक्षित बाहर निकाले जाने के बाद माया कोडनानी कहां गईं। गौरतलब है कि अदालत ने इसी साल अप्रैल में कोडनानी के, अपने बचाव में शाह एवं कुछ अन्य गवाहों को बुलाये जाने के आवेदन को मंजूरी दी थी। माया कोडनानी ने अपना बचाव करते हुए कोर्ट में बयान दिया कि अहमदाबाद के निकट नरोदा गाम में हुए दंगों के दौरान वह विधानसभा सत्र में भाग लेने के बाद सोला सिविल अस्पताल गई थीं। माया के मुताबिक, वह उस स्थान पर थी ही नहीं, जहां हिंसा हुई थी। माया कोडनानी ने कहा तत्कालीन विधायक अमित शाह भी उस वक्त सोला सिविल अस्पताल में मौजूद थे।

शीर्ष कोर्ट ने दिए थे जल्द ट्रायल पूरा करने के निर्देश 

साबरमती ट्रेन की बोगी में आग लगाने की घटना में मारे गए कारसेवकों के शव गोधरा से सोला सिविल अस्पताल लाये गये थे। शाह की गवाही से उनके बयान की पुष्टि हुई कि वह अपराध के समय कहीं और उपस्थित थीं। सन 2002 में विधायक रहीं कोडनानी को तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में 2007 में कनिष्ठ मंत्री बनाया गया था। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायमूर्ति जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने निचली अदालत से कहा कि वह दो महीने के भीतर गवाहों का बयान दर्ज करने का काम पूरा करे। नरौदा गाम मामला 2002 में हुए नौ बड़े सांप्रदायिक दंगों में से एक है, जिनकी जांच उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल ने की है। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को नरोदा गाम में 11 मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में पूर्व मंत्री और स्त्री रोग विशेषज्ञ माया कोडनानी समेत 82 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

अमित शाह ने कोर्ट में क्या कहा

-शाह खचाखच भरी अदालत में भारी सुरक्षा के बीच लगभग 11 से 11.20 बजे के आसपास पहुंचे। 

-अमित शाह ने कोर्ट के सामने कहा वह 28 फरवरी को सुबह 7:15 बजे अपने घर से विधानसभा के लिए निकले थे। सदन की कार्यवाही सुबह 8:30 बजे शुरू होनी थी। 

-लगभग 40 मिनट के बयान में शाह ने कहा उन्होंने 28 फरवरी को सुबह 8.40 बजे माया कोडनानी को गुजरात विधानसभा में देखा। 

-उन्होंने कहा मैं नहीं जानता कि विधानसभा से रवाना होने और सोला सिविल हास्पिटल पहुंचने के पहले वह कहां थीं। 

-इसके बाद 11 बजे से लेकर 11.30 बजे के आसपास उन्हें अहमदाबाद के सोला सिविल हास्पिटल में देखा। 

-एसआईटी द्वारा पेश चार्जशीट में कहा गया है कि माया कोडनानी सुबह सुबह लगभग 8.40 बजे विधानसभा से चल कर 9.30 बजे नरोदा गाम जा पहुंची थीं। 

-एसआईटी ने अनेक गवाहों और मोबाइल फोन की स्थिति से जुड़े आंकड़ों से दावा किया कि माया कोडनानी घटनास्थल पर 10.30 मिनट तक रहीं हैं। 

-एसआईटी ने 28 फरवरी 2002 को गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों को जिंदा जलाए जाने की घटना के बदले के रूप में लोगों को नरोदा गाम में मुस्लिमों की हत्या के लिए भड़काया। 

-शाह ने अदालत को बताया कि उन्होंने कोडनानी को सोला सिविल हास्पिटल से निकलते समय देखा था, जहां गोधराकांड के शिकार हुए कारसेवकों के शव लाए गए थे। 

-उन्होंने बताया मारे गए लोगों के रिश्तेदार बेहद उत्तेजित थे और अस्पताल में भारी शोरगुल हो रहा था। 

-उन्होंने बताया कि पुलिस की सुरक्षा में वह सोला सिविल हास्पिटल से बाहर आए और एक पुलिस जीप ने उन्हें गोटा चौक तक , जहां उनका वाहन खड़ा था। 

-उन्होंने बताया कि माया कोडनानी को भी पुलिस सुरक्षा में अस्पताल परिसर के बाहर तक लाया गया था। 

-अमित शाह ने कहा इसके बाद मुझे नहीं मालुम की माया कोडनानी कहां गईं।

कोर्ट ने दिया था अंतिम मौका

-नरोदा पाटिया मामले की सुनवाई कर रही विशेष ट्रायल कोर्ट ने भाजपा की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को अपने डिफेंस विटनेस के रूप में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को लाने का अंतिम मौका दिया था।  

-कोर्ट ने कहा यदि इस बार भी अमित शाह कोर्ट की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेते तो उन्हें दूसरा मौका नहीं दिया जाएगा। 

-नरोदा पाटिया हत्याकांड में मुख्य आरोपी माया कोडनानी ने सोमवार को अमित शाह का पता जुटाने के लिए कोर्ट से कुछ और समय की मांग की थी। 

-अपनी एप्लीकेशन में उन्होंने कहा था कि व्यस्त कार्यक्रम की वजह से उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। एसे में यह तय करना कठिन है कि उन्हें किस पते पर समन भेजे जाएं। 

-इसके लिए उन्होंने 12 सितंबर तक का समय मांगा था। 

-इसके बाद स्पेशल जज पीबी देसाई ने उन्हें 08 सितंबर तक की अनुमति दी थी। जब वह निर्धारित तिथि को गवाही नहीं दे पाए, तो माया कोडनानी ने कोर्ट से और समय मांगा था। 

-28 फरवरी 2002 को हुए दंगों में अपने को निर्दोष साबित करने के लिए कोडनानी ने अमित शाह समेत 14 लोगों को अपने गवाह के रूप में पेश करने की अनुमति मांगी थी। 

-इनमें से 12 लोगों की कोर्ट में उनके पक्ष में गवाही हो चुकी है, जिनमें उनके पति सुरेंद्र कोडनानी, पूर्व डेपुटी मेयर और भाजपा कारपोरेटर दिनेश मकवाना, पूर्व भाजपा विधायक अमरीश गोविंद भाई पटेल आदि शामिल हैं।

क्या हैं कोडनानी पर आरोप

-माया कोडनानी पर आरोप है कि उन्होंने एक दिन पहले हुए गोधरा कांड से गुस्साए हजारों लोगों की भीड़ को नरोदा गाम में मुसलमानों की हत्या के लिए भड़काया। इस हत्याकांड में उग्र भीड़ ने 11 मुस्लिमों की हत्या कर दी थी।

-इस मामले में माया कोडनानी समेत 82 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनके विरुद्ध अदालत में ट्रायल चल रहा है।  

-सन 2012 में पूर्व मंत्री और स्त्री रोग विशेषज्ञ माया कोडनानी को नरोदा गाम के निकट स्थित नरोदा पाटिया नरसंहार मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 

-माया कोडनानी और 31 अन्य लोगों ने इस फैसले को गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसने बीती 30 अगस्त को इस मामले की सुनावाई पूरी करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। 

-सुप्रीम कोर्ट ने बीते माह स्पेशल ट्रायल कोर्ट को नरोदा गाम मामले की सुनवाई चार माह में पूरी करने का निर्देश दिया था। उन्हें इस हत्याकांड में मुख्य आरोपी बनाया गया था। 

क्या है नरोदा गाम नरसंहार

28 फरवरी 2002 को विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित राज्यव्यापी बंद के दौरान नरोदा पाटिया में लगभग पांच हजार लोगों की भीड़ ने 11 मुस्लिमों की हत्या कर दी थी। विहिप ने यह बंद एक दिन पहले गोधरा में साबरमती ट्रेन में कारसेवकों को जिंदा जलाए जाने के विरोध में आयोजित किया था। इस दौरान लगभग पांच हजार लोगों की भीड़ ने नूरानी मस्जिद को नष्ट कर दिया और बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोगों की हत्या कर दी। जबकि अनेक लोगों को जिंदा जला दिया गया। नरोदा पाटिया में हुए इस नरसंहार के बाद पूरे राज्य में दंगे फैल गए। राज्य सरकार पर भी दंगाईयों को सहयोग देने का आरोप लगा। इसके बाद अहमदाबाद के निकट स्थित मुस्लिम आबादी वाले नरोदा पाटिया में कर्फ्यू लगा दिया गया। एसआईटी ने इस मामले में माया कोडनानी कोमुख्य आरोपी बनाया है। इस मामले में 82 लोगों को आरोपी बनाया गया है। लगभग दस घंटे तक चले इन नरसंहार के बाद पूरे गुजरात में दंगे फैल गए। राज्य के 27 शहरों और कस्बों में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। इस दौरान नरोदा के सभी मुस्लिम घरों को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया था। गैरसरकारी आंकड़ों के अनुसार इस घटना में 125 लोग मारे गए थे। इसके बाद राज्य में फैले दंगों में 1044 लोगों की मौत हुई और 298 दरगाह, 205 मस्जिदें और 17 मंदिर नष्ट कर दिए गए थे। गैरसरकारी आंकड़ों के अनुसार इस दौरान पांच हजार लोग मारे गए और बड़े पैमाने पर संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। 

Created On :   18 Sep 2017 3:35 PM GMT

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