गुजरात दंगे की फाइनल रिपोर्ट विधानसभा में पेश, नानावती आयोग ने PM मोदी को दी क्लीन चिट

गुजरात दंगे की फाइनल रिपोर्ट विधानसभा में पेश, नानावती आयोग ने PM मोदी को दी क्लीन चिट

Bhaskar Hindi
Update: 2019-12-11 07:56 GMT
गुजरात दंगे की फाइनल रिपोर्ट विधानसभा में पेश, नानावती आयोग ने PM मोदी को दी क्लीन चिट

डिजिटल डेस्क। गुजरात दंगे और गोधरा में साल 2002 में हुए ट्रेन हादसे को लेकर गठित जस्टिस जीटी नानावती आयोग की फाइनल रिपोर्ट को आज विधासनभा में पेश किया गया।  आयोग की रोपोर्ट पर राज्य के गृहमंत्री प्रदीप सिंह ने कहा कि, आयोग ने गुजरात दंगे के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी है। साथ ही आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, तत्कालीन मंत्री हरेन पंड्या, भरत बारोट और अशोक भट्ट की इस मामले में किसी भी तरह की भूमिका साफ नहीं होती है। वहीं आयोग की इस रिपोर्ट में अरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और पूर्व IPS संजीव भट्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। आयोग ने सितंबर 2008 में गोधरा कांड पर अपनी प्राथमिक रिपोर्ट पेश की थी।

राज्य के गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने कहा, "नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया गया था कि, किसी भी जानकारी के बिना वह गोधरा गए थे। आयोग ने मोदी पर लगे इस आरोप को ख़ारिज कर दिया है और कहा की इसके बारे में सभी सरकारी एजेंसियों को जानकारी थी। आरोप था कि, गोधरा रेलवे स्टेशन पर ही सभी 59 कारसेवकों के शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया था। इस पर आयोग का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश से नहीं बल्कि अधिकारियों के आदेश से पोस्टमार्टम किया गया था। 

रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी किसी भी जानकारी के बिना गोधरा गए थे। इस आरोप को आयोग ने खारिज कर दिया है। इसके बारे में सभी सरकारी एजेंसियों को जानकारी थी। गोधरा स्टेशन पर सभी 59 कारसेवक के शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया था। आयोग का कहना है कि, वहां पर मौजूद अधिकारियों के आदेश पर पोस्टमॉर्टम किया गया था न की मुख्यमंत्री के आदेश पर। 

संजीव भट्ट ने जो आरोप लगाया था कि, मुख्यमंत्री ने कहा थी की, हिन्दुओं को अपना गुस्सा निकालने दिया जाए। इस पर आयोग का कहना है कि, इस मीटिंग में ऐसे कोई आदेश मुख्यमंत्री के जरिये नहीं दिए गए थे। सरकार ने किसी भी तरह के बंद का ऐलान भी नहीं किया था।

बता दें कि, साबरमती एक्सप्रेस में 27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर आग लग गई थी। इसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क गए थे। गोधरा ट्रेन अग्निकांड में मारे गए अधिकतर लोग कार सेवक थे जो अयोध्या से लौट रहे थे। मामले की जांच करने के लिए गुजरात सरकार की तरफ से गठित नानावती आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा था कि, एस-6 कोच में लगी आग दुर्घटना नहीं थी, बल्कि उसमें आग लगाई गई थी।

गौरतलब है कि, 2002 में दंगों में गुजरात पुलिस पर इस मामले में निष्क्रिय रहने के आरोप लगे थे। तीन दिन तक चली हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए थे, जबकि कई लापता हो गए थे। इस पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगे थे कि, उन्होंने दंगे रोकने के लिए जरूरी कार्रवाई नहीं की थी और पुलिस को भी कोई कार्रवाई न करने के आदेश दिए थे। बाद में केंद्र की यूपीए सरकार ने दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। जिसने अपनी रिपोर्ट में नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट दे दी थी।

वहीं इससे पहले गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में गुजरात हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 11 दोषियों की सजा फांसी से उम्रकैद में बदल दी थी। एसआईटी कोर्ट ने 1 मार्च, 2011 को गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले में 31 लोगों को दोषी पाया था और 63 को बरी कर दिया था। अदालत ने दोषी पाए गए लोगों में से 11 लोगों को फांसी और 20 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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