वो तारीख जिसे देश कभी भुला नहीं सकेगा, धारा 370 और राम मंदिर पर हुए बड़े फैसले

5 अगस्त वो तारीख जिसे देश कभी भुला नहीं सकेगा, धारा 370 और राम मंदिर पर हुए बड़े फैसले

Bhaskar Hindi Desk
Update: 2021-08-05 06:36 GMT
वो तारीख जिसे देश कभी भुला नहीं सकेगा, धारा 370 और राम मंदिर पर हुए बड़े फैसले
हाईलाइट
  • 2019 में जम्मू -कश्मीर से धारा -370 को समाप्त किया
  • 2020 में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी।
  • पहले दो सालों में 3 में से 2 सपनों को पूरा कर चुके

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 5 अगस्त वो तारीख है जब मोदी सरकार ने घोषणा पत्र में किए अपने दो अहम वादों को पूरा किया है। पहले साल यानी 2019 में जम्मू -कश्मीर से धारा -370 को खत्म किया जिससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में एक नए युग की शुरुआत हुई और दूसरे साल (पिछले साल) अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी। 

पीएम मोदी पिछले 7 सालों से सत्ता में बने हुए हैं । मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में दो ऐतिहासिक फैसले 5 अगस्त की तारीख में पूरे किए जिसके कारण भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में 5 अगस्त की तारीख अमर हो गई है। बीजेपी पार्टी के हमेशा से 3 सबसे बड़े सपने रहे हैं । पहला जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना दूसरा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और तीसरा समान नागरिक संहिता। अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री अपने पहले दो सालों में 3 में से 2 सपनों को पूरा कर चुके हैं। 

अगर हम आज जम्मू-कश्मीर की स्थितियों का आंकलन करें तो पाएंगे कि अब कश्मीर में हालात धीरे-धीरे सामान्य होने लगे हैं। जिस प्रकार से कुछ दिनों पहले जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों के नेताओं से प्रधानमंत्री ने मुलाकात की ,उससे लग रहा है कि जल्द ही जम्मू -कश्मीर में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर विधानसभा चुनाव भी करवाए जाएंगे।

वहीं पिछले साल पीएम मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की बुनियाद रखकर 5 अगस्त की तारीख को ऐतिहासिक बना दिया। 90 के दशक में शुरु हुआ राममंदिर आंदोलन का देश के राजनीति पर बहुत गहरा असर रहा है, जिसका परिणाम यह है कि 2 सीटों के साथ शुरु हुआ भारतीय जनता पार्टी का सिलसिला आज पूर्ण बहुमत वाली सरकार के रूप में है।   

2022 में उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं जिसकी तैयारियां लगभग सभी पार्टियों ने जोरों-शोरों पर शुरु  कर दी है। अब ऐसे भारतीय जनता पार्टी होने वाले विधानसभा चुनाव मे राममंदिर निर्माण का श्रेय जरूर लेना चाहेगी।

2025 तक होगा निर्माण पूरा, 2023 के अंत तक हो सकते हैं दर्शन

रामलला 2023 तक मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो जाएंगे। मंदिर की नींव भरने का काम करीब 60% पूरा हो चुका है। लेकिन इसके बाद भी मंदिर के ऊपरी फ्लोर पर काम चलता रहेगा। राम मंदिर की नींव 44 परतों में बनाई जानी है, जिसमें से 25 परतें पूरी हो चुकी हैं। मंदिर निर्माण के साथ अब रामलला को अन्य सुविधाएं देने की भी तैयारी की जा रही है।


 मंदिर निर्माण के लिए तराशे गए पत्थरों को कार्यशाला से मंदिर परिसर में पहुंचाने का कार्य शुरू हो चुका है। इन्हीं पत्थरों से भव्य और दिव्य श्री रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मंदिर के निर्माण का कार्य योजना के अनुसार चल रहा है और अनुमान है कि 2023 के अंत से श्रद्धालु  भगवान रामलला के दर्शन कर सकेंगे। अयोध्या में पूरे राम मंदिर परिसर का निर्माण वर्ष 2025 तक होने की उम्मीद है, मंदिर परिसर में एक संग्रहालय, डिजिटल अभिलेखागार और एक शोध केंद्र भी बनेगा।  

जम्मू कश्मीर-आज की तस्वीर

5 अगस्त 2019 को, नरेंद्र मोदी सरकार ने धारा-370 हटाकर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया था, तो निर्णय के दो साल बाद, क्या वास्तव में चीजें जमीन पर बदल गई हैं या वही बनी हुई हैं?

विशेष दर्जे को रद्द करने के पीछे सरकार का प्राथमिक तर्क "आतंक के खतरे को खत्म करना" था।
गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद से आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में भारी कमी आई है। गृह मंत्रालय ने हाल ही में कहा है कि 2019 की तुलना में 2020 में आतंकवादी घटनाओं की संख्या में 59% की कमी आई है। 2020 से 2021 के बीच 32% और अधिक गिरावट आई ।

राजनीतिक गतिविधियां

पिछले एक साल में केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों की झड़ी लग गई है, खासकर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर जैसे शीर्ष नेताओं की रिहाई के बाद। अनुच्छेद-370 के निरसन के बाद उन्हें नजरबंद कर दिया गया था।


अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन राज्य के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर आगे के रास्ते पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन की कवायद के बाद संभवत: चुनाव हो सकते हैं।

कश्मीरी पंडितों की घर वापसी

1990 की एक रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा चिंताओं के कारण 1990 में  44,167 कश्मीरी प्रवासी परिवार घाटी से पलायन कर गए थे। इनमें पंजीकृत हिंदू प्रवासी परिवारों की संख्या 39,782 है।

मार्च 2021 में राज्य सभा में सरकार ने कहा कि 3,841 कश्मीरी प्रवासी युवा हाल के वर्षों में कश्मीर वापस गए हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत विभिन्न जिलों में नौकरी प्राप्त की है।

सरकार के अनुसार अप्रैल, 2021 में इसी पैकेज के तहत नौकरी के लिए 1,997 उम्मीदवारों का चयन किया गया है। सरकार द्वारा कश्मीर आए  प्रवासियों को आवासीय सुविधांए प्रदान करने के लिए एक व्यापक नीति तैयार की है।
 

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