रेलवे ने सुरक्षा पर ध्यान बढ़ाया तो हादसों में आई कमी, पांच गुना तक घटी जनहानि

रेलवे ने सुरक्षा पर ध्यान बढ़ाया तो हादसों में आई कमी, पांच गुना तक घटी जनहानि

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-09 12:57 GMT
रेलवे ने सुरक्षा पर ध्यान बढ़ाया तो हादसों में आई कमी, पांच गुना तक घटी जनहानि
हाईलाइट
  • अधिकारी ने बताया कि ट्रेन हादसों में कमी का मुख्य कारण ट्रैकों की मरम्मत है।
  • पिछले एक साल में हुआ सबसे कम रेल हताहत
  • 75 रेल हादसों में केवल 40 जानेें गई हैं।
  • बीते एक साल में इंडियन रेलवे में सबसे कम हताहत देखने को मिला है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते एक साल में इंडियन रेलवे में सबसे कम हादसे देखने को मिले हैं। रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने सरकारी आंकड़े का हवाला देते हुए कहा है कि सितंबर 2017 से अगस्त 2018 के बीच रेलवे, नई तकनीक की मदद से हादसों को कम करने में कामयाब हुई है। अधिकारी के अनुसार, पिछले एक साल में 75 रेल हादसों में 40 लोगों की मौत हुई है। इस दौरान केवल दो बड़े हादसे देखने को मिले। पहले हादसे में उत्कल एक्सप्रेस के पटरी से उतरने पर 20 यात्री की मौत हुई थी। वहीं इस साल अप्रैल में यूपी में एक स्कूल वैन ट्रेन से टकरा गई थी, जिसमें 13 बच्चों की मौत हो गई थी।

अधिकारी ने बताया कि बीते पांच सालों में एक साल के भीतर यह सबसे कम नुकसान है। इससे पहले सितंबर 2016 से अगस्त 2017 के बीच आठ रेल हादसे हुए थे। इन आठ रेल हादसों में कुल 249 लोगों की मौत हुई थी। इसमें इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसा भी शामिल है। नवंबर 2016 में इंदौर-पटना एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, जिसमें 150 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। वहीं 2014 से 2015 के बीच 108 रेल हादसे हुए। इसमें 196 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। अधिकारी के अनुसार पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा रेल हादसे 2013 से 2014 के बीच देखने को मिली। इस दौरान कुल 139 रेल हादसों में 275 यात्रियों की मौत हुई थी।

अधिकारी ने बताया कि 2013-14 में ट्रेनों के पटरी से उतरने और टक्कर की कुल 62 घटनाएं हुई थी। वहीं 2017 से 2018 के बीच इन हादसों में भारी कमी को देखने को मिली है। इस दौरान ट्रेनों के पटरी से उतरने और टक्कर की कुल चार घटनाएं देखने को मिले। इन दो सालों की तुलना की जाए तो इन घटनाओं में 93 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

अधिकारी ने बताया कि ट्रेन हादसों में कमी का मुख्य कारण पिछले 4 साल के दौरान ट्रैक की मरम्मत, पुराने कोच की जगह नए लिंक हॉफमेन बुश (LHB) कोच, मेंटेनेंस पर फोकस है। इसके अलावा सुरक्षा में बढ़ोतरी और रेलवे ट्रैक में बदलाव की वजह से मौतों की संख्या में काफी कमी आई। वहीं मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग की संख्या में भी कमी आई है और लोगों की जागरुकता बढ़ी है।  

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