मप्र : ओंकारेश्वर बांध के कारण सैकड़ों परिवारों पर संकट

मप्र : ओंकारेश्वर बांध के कारण सैकड़ों परिवारों पर संकट

IANS News
Update: 2019-10-24 09:30 GMT
मप्र : ओंकारेश्वर बांध के कारण सैकड़ों परिवारों पर संकट

भोपाल, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से कई गांवों के जलमग्न होने का मंजर और दर्द लोग अभी भूले भी नहीं थे कि ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने की कोशिश ने सैकड़ों परिवारों के सामने जीवन का संकट खड़ा कर दिया है।

कई गांवों में पानी भर चला है, सड़क मार्ग अवरुद्घ हो गए हैं। पुनर्वास किए बिना बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से नाराज लोगों ने 25 अक्टूबर से जल सत्याग्रह करने का ऐलान किया है।

नर्मदा नदी पर बने ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर 193 मीटर से बढ़ाकर 196.6 मीटर किया जा रहा है।

21 अक्टूबर से जलस्तर बढ़ाने का दौर शुरू हो गया है, वर्तमान में 194 मीटर पर जलस्तर पहुंचने से कई गांव टापू में बदलने लगे हैं और गांव व खेत तक जाने वाले मार्ग भी जलमग्न हो गए हैं।

नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता आलोक अग्रवाल ने गुरुवार को आईएएनएस से कहा, ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने से खंडवा के 13 और देवास जिले के सात गांवों के लोगों का प्रभावित होना तय है।

उन्होंने कहा, इस बांध से प्रभावित होने वाले छह हजार परिवारों में से दो हजार परिवारों का पुनर्वास नहीं हुआ है।

उन्होंने बताया कि बांध प्रभावित बीते 12 वर्ष से अपने अधिकारो की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने 13 मार्च, 2019 को बांध प्रभावितों के पक्ष में फैसला दिया था।

अग्रवाल ने कहा, इस पर राज्य सरकार ने भी 31 जुलाई, 2019 को विस्थापितों को पुनर्वास अधिकार देने का आदेश दिया। कानून में स्पष्ट प्रावधान है कि डूब से छह माह पहले पुनर्वास जरुरी है, मगर गैर कानूनी तरीके से गांव और परिवारों को डुबोया जा रहा है।

लगभग दो हजार आदिवासी परिवार ऐसे है जिनका पुनर्वास होना और मुआवजा मिलना बाकी है।

खबरों के अनुसार, बांध का जलस्तर बढ़ने से गांव और खेत डूबने शुरूहो गए हैं। चारों तरफ पानी ही पानी है। एक तरफ गांव का दूसरे गांव से संपर्क टूट चला है, तो वहीं दूसरी ओर गांव और खेत के बीच संपर्क नहीं रहा।

अग्रवाल का कहना है कि पुनर्वास की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। राज्य के अपर मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी ने एक सप्ताह में पुनर्वास का भरोसा दिलाया, मगर बांध का जलस्तर बढ़ने का काम नहीं रोका है। यही कारण है कि लोग शुक्रवार से जल सत्याग्रह शुरू कर रहे हैं।

गौरतलब है कि इससे पहले भी ओंकारेश्वर बांध का जलस्तर बढ़ाने के विरोध में जल सत्याग्रह हो चुके है। घोघनगांव में वर्ष 2012 में 17 दिन और 2015 में 32 दिन का जल सत्याग्रह हुआ था।

नर्मदा बचाओ आंदेालन की चितरुपा पालित, अजय गोस्वामी, मुकुंदपुरी, समेश कनौजे और देवी सिंह सिसौदिया का दावा है कि वे अपना हक लेकर रहेंगे। इसी मकसद से एक बार फिर लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतर रहे हैं।

उनका कहना है कि सरकार बांध के जलस्तर को पूर्व की स्थिति में लाए और पुनर्वास की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही जलस्तर बढ़ाए।

सितंबर और अक्टूबर माह में राज्य की सीमा पर स्थित सरदार सरोवर बांध का जलस्तर बढ़ाए जाने के चलते हजारों परिवारों को परेशानी का सामना करना पड़ा था।

सरदार सरोवर बांध में पानी का जलस्तर 138.68 मीटर तक ले जाने से धार, अलिराजपुर और बड़वानी के हजारों परिवारों को गांव छोड़ना पड़े है। गांव के गांव पानी में डूब गए हैं।

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