सरबजीत की पत्नी का सिंदूर पोछा, बिंदी हटाई, कृपाण को जूतों के पास रखा

सरबजीत की पत्नी का सिंदूर पोछा, बिंदी हटाई, कृपाण को जूतों के पास रखा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-12-29 08:44 GMT
सरबजीत की पत्नी का सिंदूर पोछा, बिंदी हटाई, कृपाण को जूतों के पास रखा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जासूस के आरोप में पाकिस्तानी जेल में बंद कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी जब उनसे मिलने पहुंची, तो उनके साथ पाकिस्तान ने जमकर "बदसलूकी" की। जाधव की मां और पत्नी के कपड़े बदलवाए गए, बिंदी उतरवाई, मंगलसूत्र उतरवाया और जूते तक बदल डाले। अपनी मां और पत्नी को जब जाधव ने बिना बिंदी और मंगलसूत्र के देखा होगा, तो उन्हें कैसा लगा होगा? शायद इस बारे में हम कभी सोच भी नहीं सकते। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी गुरुवार को संसद में दिए अपने भाषण में इस बात का जिक्र किया कि जब जाधव ने अपनी मां को ऐसे देखा, तो सबसे पहले यही पूछा कि बाबा कैसे हैं?

सरबजीत के परिवार के साथ भी हुआ था ये सब

कुलभूषण जाधव के परिवार के साथ पाकिस्तान ने जो शर्मनाक हरकत की है। उससे एक बार फिर पाकिस्तान बेनकाब हो गया, लेकिन ये पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने इस तरह की शर्मसार हरकत की हो। इससे पहले पाकिस्तान ने सरबजीत सिंह के परिवार के साथ भी ऐसी ही हरकत की थी। सरबजीत वही इंसान थे, जो गलती से पाकिस्तान पहुंच गए थे और फिर पाकिस्तान की जेल में ही मार दिए गए। 2008 में सरबजीत की बहन दलबीर कौर, सरबजीत की पत्नी और दो बेटियों को लेकर पाकिस्तान गईं थीं। पाकिस्तान ने सरबजीत को 1990 में हुए लाहौर और फैसलाबाद बम धमाकों का आरोपी मानकर जेल में डाल दिया था।

लाहौर पहुंचते ही शुरू हो गई थी बदसलूकी

सरबजीत की बहन दलबीर कौर ने अपने उस वक्त को याद करते हुए मीडिया से बात करते हुए बताया कि "हम लाहौर पहुंचे और मीडिया वालों ने हमारी गाड़ी को घेर लिया। इस वजह से गाड़ी रोकनी पड़ी। हम जो कुछ कर रहे थे, वो सब लाइव दिखाया जा रहा था। हमारे साथ बदसलूकी तो वहीं से शुरू हुई। हमने घंटों तक सरबजीत से मिलने का इंतजार किया।" उन्होंने आगे बताया कि "जब हम सरबजीत से मिलने पहुंचे, तो हमारे साथ भी वही हुआ, जो जाधव के परिवार के साथ हुआ है। मेरे साथ सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर और उनकी दो बेटियां स्वप्नदीप और पूनम भी थीं। पाकिस्तानी अधिकारियों ने हमारे जूड़े खुलवा लिए। उन मासूम बच्चियों की चोटियां खुलवा दीं। सरबजीत की पत्नी की बिंदी उतार दी और रूमाल से सिंदूर पोंछ दिया था।"

जूतों की जगह पर रख दी थी कृपाण

इसके आगे दलबीर ने बताया कि "पाकिस्तान के अधिकारियों ने हमारे साथ वो सब किया, जो जाधव परिवार के साथ किया। मैंने उन्हें बहुत समझाया कि हमारे यहां ये सब अपशगुन माना जाता है, लेकिन वो माने नहीं। उन्होंने मेरी कृपाण उतारकर भी जूते रखने की जगह पर रख दी। मैंने काफी बहस भी की, लेकिन फिर मुझे मानना पड़ा क्योंकि मुझे मेरे भाई से मिलना था।"  

सिर्फ 48 मिनट मिले, जिसमें आधे घंटे तक हम रोते रहे

दलबीर कौर ने सरबजीत के साथ अपनी मुलाकात की घटना को याद करते हुए मीडिया को बताया कि "हमें मिलने के लिए सिर्फ 48 मिनट का ही समय दिया गया था। जिसमें से हम आधा घंटे तक तो रोते ही रहे। सरबजीत की हालत देखकर हमारा दिल घबरा गया था। सरबजीत और हमारे बीच कालकोठरी की सलाखें थी और हम बस हाथ पकड़कर रोते ही रहे।" उन्होंने आगे बताया कि "जब हमने उसे खाना देना चाहा तो उसने एक कटोरा आगे बढ़ा दिया। उसे देखते ही मेरा कलेजा फट गया। इस पल को मैं मरते दम तक याद रखूंगी।"

मीडिया वालों ने पूछे ऊटपटांग सवाल

जिस तरह से कुलभूषण जाधव की मां और पत्नी से पाकिस्तानी मीडिया ने अपमानजनक सवाल किए हैं, ठीक इसी तरह के सवाल सरबजीत के परिवार वालों के साथ भी किए थे। दलबीर ने बताया कि "जब हम सरबजीत से मिलकर जेल से बाहर आए तो मीडिया वालों ने हमसे ऊटपटांग सवाल पूछने शुरू कर दिए। हमसे मीडिया ने पूछा आप एक आतंकवादी से मिलकर आए हैं। सरबजीत की बेटियों से पूछा गया कि आपके पिता एक आतंकवादी हैं, तो स्कूल में बच्चे आपके साथ कैसे रहते हैं? लोग आपको कैसे देखते हैं?"

मनमोहन सरकार को बताया भी, लेकिन कुछ नहीं हुआ

दलबीर कौर ने बताया कि "जब हम पाकिस्तान से लौटकर भारत आए, तो इस मुलाकात की जानकारी मनमोहन सरकार को दी, लेकिन किसी ने भी इसपर आपत्ति नहीं जताई। मुझे लगा था कि जो हमारे साथ हुआ, वो जाधव के परिवार के साथ नहीं होगा, क्योंकि उनके साथ मोदी सरकार है, लेकिन उनके साथ भी पाकिस्तान ने बदसलूकी की।" उन्होंने आगे कहा कि "सरबजीत के साथ हमारी मुलाकात की एक भी फोटो पाकिस्तान ने जारी नहीं की थी, जबकि जाधव के मामले में वो दुनिया को दिखाना चाहता है कि हमने एक हिंदुस्तानी आतंकवादी को पकड़ा है, फिर भी मिलना दिया।"

लाहौर की जेल में हो गई थी सरबजीत की मौत

सरबजीत सिंह गलती से पाकिस्तान पहुंच गए थे। इसके बाद पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोपी माना और फांसी की सजा सुनाई, लेकिन उनकी जेल में ही मौत हो गई थी। पाकिस्तान का कहना था कि सरबजीत पर लाहौर जेल में बंद कुछ कैदियों ने हमला कर दिया था, जिसके 6 दिन बार 2 मई 2013 को उनकी मौत हो गई थी। 

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