Lockdown Effect: मजदूर बोले- हमें या तो खाना दें या घर जाने दें, राज्य और केंद्र सरकार ने एक-दूसरे पर फोड़ा ठीकरा 

Lockdown Effect: मजदूर बोले- हमें या तो खाना दें या घर जाने दें, राज्य और केंद्र सरकार ने एक-दूसरे पर फोड़ा ठीकरा 

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-14 18:25 GMT
Lockdown Effect: मजदूर बोले- हमें या तो खाना दें या घर जाने दें, राज्य और केंद्र सरकार ने एक-दूसरे पर फोड़ा ठीकरा 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन (Lockdown) को मुंबई के बांद्रा (Bandra incident) स्टेशन की एक घटना ने फेल कर दिया है। हालांकि पुलिस ने उन्हें डंडे के जोर पर हटा तो दिया, लेकिन हजारों की संख्या में जुटे मजदूरों का सिर्फ ये ही कहना था कि सरकार या तो उन्हें खाना दे या फिर हर हाल में घर जाने दें। वहीं मजदूरों की इस मजबूरी पर केंद्र और राज्य सरकार ने राजनीति करना शुरू कर दिया है। दोनों तरफ से नेताओं ने इस घटना की जिम्मेदारी का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़कर अपना दामन साफ पाक बताने की कोशिश की है। बहरहाल, जिस मकसद से पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया है। बांद्रा स्टेशन की घटना ने उसे फैल कर दिया है, जबकि पूरे देश में कोरोना से सबसे ज्यादा संक्रमित और मृतक मुंबई से ही हैं।

मालूम हो कि बांद्रा स्टेशन पर इकट्ठा हुए बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के रहने वाले इन मजदूरों को भरोसा था कि आज लॉकडाउन खत्म हो जाएगा और वे पहली ट्रेन से ही अपने गांव वापस जाएंगे। मजदूरों की इस उम्मीद को एक अफवाह ने और हवा दे दी कि लॉकडाउन खत्म कर दिया गया है। बस क्या था बांद्रा स्टेशन पर मजदूरों की भीड़ जुटना शुरू हो गई। इनमें से कई तो ऐसे मजदूर थे, जिन्हें पता भी नहीं था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ा चुके हैं। इतनी भारी भीड़ देखकर अधिकारियों के पसीने छूट गए।

न खाने को सामान है और न ही रोजगार मिल रहा
मुंबई में पिछले 20-25 दिनों से फंसे इन मजदूरों ने बताया कि उनके पास कुछ नहीं बचा है। न खाने को सामान है और न ही रोजगार मिल रहा है। ऐसे में उनके लिए अगले 20 दिन गुजारना मुश्किल है, इसलिए वे किसी भी हाल में घर जाना चाहते हैं। जब रेलवे स्टेशन के अधिकारियों ने इन्हें समझाया कि ट्रेनें बंद हैं तो वे अधिकारियों की बात तक मानने को नहीं राजी हुए, इसके बाद पुलिसवालों को लाठीचार्ज करना पड़ा।

बांद्रा रेलवे स्टेशन पर जुटी भारी भीड़ पर शाह ने उद्धव से की बात
लॉकडाउन खत्म होने की अफवाह पर मंगलवार को मुम्बई की बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ जुटने पर केंद्र ने नाखुशी जाहिर की है। इस मामले में गृहमंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात की है। गृहमंत्री ने कहा कि इस से कोरोना के खिलाफ मुहिम कमजोर होगा। गृहमंत्री ने सीएम से इस तरह की घटनाओं को रोकने के प्रति सजग रहने को कहा और केंद्र का हर आम संभव मदद का आश्वासन दिया।

राज्य सरकार सबसे पहले मजदूरों की सुध ले: फडणवीस
मजदूरों के इकट्ठा होने की घटना पर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि बांद्रा में हुई घटना बहुत ही गंभीर है। हम पहले दिन से सरकार को बता रहे हैं कि जो प्रवासी मजदूर हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनकी व्यवस्था सरकार को करनी होगी। सरकार ये व्यवस्था करने में असफल रही है। उन्होंने कहा कि बांद्रा जैसी जगह पर सरकार की नाक के नीचे इतने बड़े पैमाने पर मजदूर इकट्ठा होकर कहते हैं कि हमें या तो खाना दीजिए या तो वापिस जाने दीजिए। मैं सरकार से निवेदन करता हूं कि सबसे पहले ऐसे लोगों की सुध ले।

आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
इस पूरी घटना पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बांद्रा स्टेशन पर वर्तमान स्थिति, मजदूरों को हटा दिया गया। उन्होंने कहा कि सूरत में हाल में कुछ मजदूरों ने दंगा किया था। केंद्र सरकार उन्हें घर पहुंचाने को लेकर फैसला नहीं ले पाई। आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है। प्रवासी मजदूर खाना और शेल्टर नहीं चाहते हैं, वे घर जाना चाहते हैं।

लॉकडाउन का मतलब लॉकअप नहीं: उद्धव
बांद्रा स्टेशन की घटना पर मुख्यमंत्री ने उद्धव ठाकरे ने मंगलवार शाम को सोशल मीडिया के माध्यम से प्रदेश वासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार प्रवासी मजदूरों का ख्याल रख रही है। हमें आप लोगों को घर में लॉक (बंद) करके खुशी नहीं हो रही है। कोई नहीं चाहता है कि आपके मर्जी के खिलाफ आप घर में पड़े रहें। लॉकडाउन का मतलब लॉकअप नहीं है। जिस दिन लॉकडाउन खुलेगा उस दिन आप लोगों को गांव में भेजने के लिए राज्य और केंद्र दोनों सरकार प्रबंध करेगी।

सरकारी राहत सिर्फ कागजी आंकड़े
बांद्रा में जो हुआ वो होना ही था, क्योंकि उन्हें खाने को मिल नहीं रहा, गांव लौटने से मना किया जा रहा है। आखिर कब तक दड़बे में बंद रहेंगे। सरकारी राहत सिर्फ कागजी आंकड़े हैं कोई भी सरकार कितने लोगों को मुफ्त खाना खिला सकती है और कब तक? क्या और कोई विकल्प नहीं है। 
- संजय निरुपम, कांग्रेसी नेता

लॉकडाउन बढ़ाने से मजदूरों में बैचेनी
लोगों को खाने पीने की समस्या नहीं है, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह ने पहले आश्वासन दिया था की लॉकडाउन खत्म होने के बाद लोगों के घर वापस लौटने की व्यवस्था की जाएगी, लेकिन लोग डाउन बढ़ा दिया गया इससे लोगों में बेचैनी है।
- असलम शेख, मंत्री महाराष्ट्र

मुंबई में लॉकडाउन की प्लानिंग अलग से होनी चाहिए
मेरे चुनाव क्षेत्र में ही बान्द्रा टर्मिनस आता है। यहां बाहर से आकर कमाने खाने वाले लाखों लोग रहते हैं। इन्हें रहना, खाना नहीं मिल रहा है। इन अप्रवासी मजदूरों की अपेक्षा पूरी नहीं हुई। इसलिए ऐसा नजारा देखने को मिला है। मुंबई में लॉकडाउन की प्लानिंग अलग से होनी चाहिए। जो यहां की सरकार नहीं कर रही है। 
- पूनम महाजन, स्थानीय सांसद, भाजपा

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