तकनीक से तकदीर संवार रही झारखंड की ग्रामीण महिलाएं

तकनीक से तकदीर संवार रही झारखंड की ग्रामीण महिलाएं

IANS News
Update: 2020-09-11 07:31 GMT
तकनीक से तकदीर संवार रही झारखंड की ग्रामीण महिलाएं
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रांची (झारखंड), 11 सितम्बर (आईएएनएस)। कोरोना काल में झारखंड के गांवों की महिलाएं तकनीक के सहारे तकदीर बदलने में जुटी हैं। मोबाइल एप्प के जरिए ग्रामीण महिलाएं अपने साथ-साथ दूसरों के जीवन में बदलाव की नई कहानी लिख रही हैं।

झारखंड की सखी मंडल की महिलाओं ने तकनीक से आय बढ़ाने के लिए सखी बॉस्केट का प्रयोग कर आज दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है। झारखंड के खूंटी जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत स्थित अनिगड़ा दो सखी मंडलों (महिला समूह) की 6 महिला सदस्यों ने ऑनलाइन आर्डर के माध्यम से राशन (रोजमर्रा के घर के सामानों) की होम-डिलीवरी का कार्य शुरू की है।

इस काल में जहां लोग घरों से निकलने से परहेज कर रहे थे, वहीं इन ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित सखी बास्केट नामक यह दुकान पूरे सतर्कता के साथ लोगों के घर-घर जा कर राशन उपलब्ध करा रहा है। पिछले चार महीने के दौरान सखी बास्केट ने 1,500 से ज्यादा लोगों के घरों तक सामान पहुंचाए हैं।

खूंटी जिले के नेताजी चौक के 4 किलोमीटर के दायरे के लोगों को सखी बास्केट एप्प के माध्यम से आर्डर करने पर 250 रुपये के ऊपर के आर्डर पर मुफ्त डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध है जबकि 250 रूपये से कम के सामान की खरीद पर ग्राहक को 20 रूपये की अतिरिक्त राशि डिलीवरी शुल्क के तौर पर करना पड़ता है।

अनिगड़ा ग्राम सखी मंडल का गठन वर्ष 2017 में हुआ था, इसके तहत रोड-टोली की महिलाएं कृषि के माध्यम से अपना जीविकोपार्जन कर रही थीं। इसी बीच कोरोना काल में हो रही परेशानियों के कारण 6 महिलाओं ने रोजमर्रा के सामानों की होम डिलीवरी करने की योजना बनाई।

इन महिलाओं ने अपने-अपने समूहों से 50-50 हजार रुपये ऋण लेकर थोक भााव में सामान खरीददारी की और फिर क्षेत्र में एक वितरण केंद्र स्थापित किया। शुरूआत के दिनों में इन महिलाओं ने व्हॉटसएप्प के माध्यम से आर्डर लिए और साइकिल से डिलीवरी प्रारंभ किए।

इसके बाद इन महिलाओं ने तकनीक से जुड़े लोगों से संपर्क साधकर गूगल प्ले स्टोर पर एप्प उपलब्ध करवाया और तकनीकी सहायता व स्टॉक के अपडेट के लिए उस एप्प को कंप्यूटर रिलेशनशिप मैनेजमेंट नामक एप्प से जोड़ दिया गया। इस एप्प के माध्यम से ग्राहक अपने सुविधानुसार भाषा का चयन कर के उपलब्ध सामान घर बैठे मंगा रहे हैं और ऑनलाइन पैसों का भुगतान भी कर रहे।

सखी बास्केट का संचालन कर रही मीरा देवी आईएएनएस को बताती हैं, तालाबंदी के दौरान लोगों में कोरोना का भय था व लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे थे, ऐसे माहौल में हमने जरुरत के सामानों को लोगों के घर तक पहुंचाने की कवायद की।

वे कहती हैं कि संक्रमण के खतरे के मद्देनजर डिलीवरी बास्केट पर ही बार-कोड लगाया गया है, जिससे नकद न होने की स्थिति में ग्राहक ऑनलाइन भुगतान अंकित खाते में कर सकें।

सखी बास्केट का संचालन ग्रामीण महिलाओं के द्वारा ही किया जा रहा है, मुख्य रूप से मीरा देवी व सरोज देवी इस प्रतिष्ठान की देखभाल करती हैं। सरोज देवी खुद से ही दुकान का लेखा-जोखा संभालती हैं। इन महिलाओं ने अब तक 1,500 घरों में सामानों की डिलीवरी की है तथा अप्रैल माह से अबतक सखी बास्केट के माध्यम से लगभग 5 लाख 72 हजार रुपये का लेन-देन किया जा चुका है।

इधर, सरोज देवी कहती हैं, हम अभी मुनाफा की ओर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम अपना स्टॉक व ग्राहक वर्धन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं, जिससे हम जिले के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अपनी सेवा पहुंचा सकें।

आईएएनएस को ग्रामीण विकास विभाग के झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के सीईओ राजीव कुमार बताते हैं कि समूह की महिलाएं समूह प्रदत्त बैंक लिंकेज की सुविधा की मदद से कई अभिनव प्रयोग कर रही हैं, जिसमें सरकार भी अपनी मदद दे रही है।

एमएनपी/जेएनएस

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