मूल स्वरूप में लौटेगा SC/ST एक्ट, संसद से पास हुआ संशोधन बिल

मूल स्वरूप में लौटेगा SC/ST एक्ट, संसद से पास हुआ संशोधन बिल

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-09 12:11 GMT
मूल स्वरूप में लौटेगा SC/ST एक्ट, संसद से पास हुआ संशोधन बिल
हाईलाइट
  • SC/ST (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी) संशोधित बिल 2018 राज्यसभा से पास हो गया है।
  • इस संशोधित बिल से SC/ST एक्ट के अहम प्रावधान फिर से लागू हो जाएंगे।
  • संसदे से बिल पास होने के बाद इस सम्बंध में आया SC का फैसला पूरी तरह पलट जाएगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। SC/ST (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटी) संशोधित बिल 2018 संसद से पास हो गया है। गुरुवार को इसे राज्यसभा में पास कर दिया गया। लोकसभा में इस पर पहले ही मुहर लग चुकी है। SC/ST एक्ट को अपने पुराने और मूल स्वरूप में फिर से लागू करने के लिए इस संशोधित बिल को कैबिनेट द्वारा मानसून सत्र में पेश किया गया था। दरअसल, इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम के कुछ अहम प्रावधानों को यह कह कर निरस्त कर दिया था कि इनका दुरुपयोग हो रहा है। कोर्ट के इस फैसले के बाद केन्द्र सरकार पर दलित विरोधी होने के लगातार आरोप लग रहे थे। इसे देखते हुए कैबिनेट ने इस एक्ट को फिर से अपने पुराने स्वरूप में लाने और सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने के लिए संशोधित बिल को सदन में पेश किया था।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस एक्ट के अहम प्रावधान को हटाने के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद का आह्वान किया था। इस दौरान कई जगहों पर हिंसक घटनाएं भी हुई थी। SC/ST एक्ट के समर्थन में बुलाए गए इस बंद को कई विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल था।

कोर्ट के फैसले के बाद से ही मोदी सरकार बैकफुट पर नजर आ रही थी और विपक्षी दल सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा रहे थे। सहयोगी दल भी लगातार सरकार से इस दिशा में कदम उठाने की मांग कर रहे थे। दलित संगठनों और विपक्षी दलों के भारी विरोध और सहयोगी दलों की मांग के बाद बीजेपी नेताओं को यह सफाई देना पड़ी थी कि जब तक बीजेपी की सरकार है, तब तक SC/ST एक्ट भी रहेगा और आरक्षण भी रहेगा।

इस सम्बंध में जून में केन्द्रीय मंत्री और लोजपा चीफ रामविलास पासवान ने अमित शाह से एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) कानून के मूल कड़े प्रावधानों को फिर से बहाल करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की। पासवान का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बीजेपी के साथ-साथ उसके सहयोगी दलों की छवि दलित विरोध बन जाएगी, इस छवि को हटाने के लिए SC/ST के कड़े प्रावधानों को हर हाल में फिर से बहाल करना होगा।
 

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