सुप्रीम कोर्ट लोकसभा चुनावों का खर्च सुनकर हैरान, कहा- 'ऐसे चुनाव रोज हों तो अच्छा'
सुप्रीम कोर्ट लोकसभा चुनावों का खर्च सुनकर हैरान, कहा- 'ऐसे चुनाव रोज हों तो अच्छा'
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। "अगर इतना पैसा चुनावों के दौरान चलन में आता है तो अच्छी बात है। ये चुनाव तो रोज होने चाहिए, कम से कम लोगों को रोजगार तो मिलता रहेगा।’ सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी 2014 के लोकसभा चुनावों में हुए 30,000 करोड़ रुपए के खर्च को लेकर दी है। कोर्ट चुनावों में खर्च हुई इतनी भारी भरकम रकम को सुनकर हैरान है। गौरतलब है कि कोर्ट की इस टिप्पणी पर डीडीआर की वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि ऐसा नहीं है कि यह पैसा लक्षित लोगों और ठेकेदारों को ही मिलता है। उन्होंने कहा कि यह खर्च भारत जैसे गरीब देश में दिमाग को झकझोर देने वाला खर्चा है।
एक दल ने रिटर्न में दिखाया है कि उसने 400 करोड़ रुपये चुनाव में खर्च किए हैं लेकिन ये वह खर्च है जो दर्शाया गया है। उम्मीदवार का खर्च अलग है। वहीं उम्मीदवार भी अलग से खर्च करता है जिसे वह चुनाव खर्च में नहीं दर्शाता है।
जस्टिस जे चेल्मेश्वर और अब्दुल नजीर की पीठ चुनाव लड़ने वाले नेताओं को शपथपत्र में आय का स्रोत बताना अनिवार्य करने के लिए दायर एडीआर और लोकप्रहरी की याचिकाओं पर विचार कर रहा है। कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कहा था कि वह ऐसे नेताओं की सूची कोर्ट में पेश करे जिनकी आय दो चुनावों के बीच 500 फीसदी तक बढ़ गई है। कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि यदि वह गंभीर है और सुधारों के लिए तैयार है तो उसे जमीन पर कार्रवाई प्रदर्शित करनी चाहिए। सरकार नेताओं की सूची मंगलवार को कोर्ट में पेश करेगी।
आपकों बता दें कि एक आकलन के अनुसार लोकसभा चुनाव में एक सीट पर राजनीतिक दल 10 लाख रुपये से 10 करोड़ रुपये तक खर्च करते हैं।