बिप्लब देब का एक और अजीब बयान- मैकेनिकल नहीं सिविल इंजीनियर्स को सिविल सर्विसेज में आना चाहिए

बिप्लब देब का एक और अजीब बयान- मैकेनिकल नहीं सिविल इंजीनियर्स को सिविल सर्विसेज में आना चाहिए

Bhaskar Hindi
Update: 2018-04-28 17:30 GMT
बिप्लब देब का एक और अजीब बयान- मैकेनिकल नहीं सिविल इंजीनियर्स को सिविल सर्विसेज में आना चाहिए

डिजिटल डेस्क, अगरतला। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब डायना हेडन पर दिए गए अपने हालिया बयान के बाद एक बार फिर सुर्खियों में हैं। सुर्खियों में रहने की वजह इस बार भी उनकी अजीबोगरीब बयानबाजी है। बिप्लब देब ने इस बार सिविल सर्विसेज़ परीक्षाओं को लेकर अजीब बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि सिविल सर्विसेज में मैकेनिकल इंजीनियर्स को नहीं बल्कि सिविल इंजीनियर्स को जाना चाहिए क्योंकि सिविल इंजीनियर्स के पास समाज और व्यव्स्था के बेहतर निर्माण का अनुभव और ज्ञान होता है।

बिप्लब देब ने यह बयान अगरतला में सिविल सर्विस डे के मौके पर सिविल सेवा परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे उम्मीदवारों को संबोधित करते हुए दिया। उन्होंने कहा, "पहले आर्टस पढ़ने वाले छात्र अमूमन सिविल सेवा परीक्षा में बैठते थे अब डॉक्टर्स और इंजीनियर्स भी इसके लिए आवेदन करते हैं। मैकेनिकल में इंजिनियरिंग करने के बाद किसी को सिविल सर्विसेज में नहीं जाना चाहिए। सिविल इंजीनियर्स को जरूर सिविल सर्विसेज में जाना चाहिए क्योंकि उनके पास एडमिनिस्ट्रेशन और सोसायटी को बनाने में मदद करने का ज्ञान और अनुभव होता है।"

इससे पहले डायना हेडन पर बयान देकर बिप्लब देब विवादों में आए थे। उन्होंने कहा था कि हमने लक्ष्मी और सरस्वती देवियों जैसी महिलाएं देखी हैं, ऐश्वर्या राय भारतीय महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, वे मिस वर्ल्ड बनी थीं लेकिन डायना हेडन की खूबसूरती मेरी समझ में नहीं आती। बिप्लब ने ये बातें ब्यूटी कॉन्टेस्ट कराने वाले आयोजकों लेकर कही थी। उन्होंने इन आयोजकों को अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग माफिया करार दिया था।

डायना हेडन विवाद से पहले बिप्लब देब ने सूचना-प्रौद्योगिकी सुविधाओं को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया था। देब ने कहा था कि महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे। बिप्लब ने कहा था, "महाभारत के दौरान संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर धृतराष्ट्र को बताया था कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध में क्या हो रहा है। संजय इतनी दूर रहकर आंख से कैसे देख सकते हैं, लिहाजा इसका मतलब है कि उस समय भी तकनीक, इंटरनेट और सैटेलाइट थे।"

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