VHP ने मुस्लिम नेताओं से मस्जिदों को बंद करने का आग्रह किया, कहा- कोरोना को हराने के लिए दफनाने के बजाय दाह संस्कार हो

VHP ने मुस्लिम नेताओं से मस्जिदों को बंद करने का आग्रह किया, कहा- कोरोना को हराने के लिए दफनाने के बजाय दाह संस्कार हो

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-02 07:11 GMT
VHP ने मुस्लिम नेताओं से मस्जिदों को बंद करने का आग्रह किया, कहा- कोरोना को हराने के लिए दफनाने के बजाय दाह संस्कार हो

नई दिल्ली, एएनआइ। गुरुवार यानी 2 अप्रैल को रामनवी मनाते हुए RSS से जुड़े विश्व हिंदू परिषद (VHP) का कहना है कि मुस्लिम समुदाय के नेता COVID-19 से जुड़े सरकार के निर्देश का पालन करें। साथ ही संघ ने मस्जिदों में Social Distancing बनाने का आग्रह किया।

VHP ने कहा कि कोरोना के खतरे को देखते हुए मुस्लिम समुदाय को दफनाने के बजाय रोगियों का दाह संस्कार करना चाहिए।

वीएचपी के महासचिव मिलिंद परांडे ने मौलवियों से आग्रह किया कि जब तक कोरोनोवायरस महामारी पर काबू नहीं पा लिया जाता, तब तक स्वेच्छा से मस्जिदों को बंद करना चाहिए।

परांडे ने कहा कि निज़ामुद्दीन में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं सामने आई हैं। मस्जिदों को स्वेच्छा से समाज के हित के लिए बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में धर्म को अलग रखें और सामाजिक सुरक्षा की चिंता को ध्यान में रखें। महासचिव ने कहा कि दफनाने के कारण कोरोना फैल सकता है, इसलिए, मुस्लिम समुदाय राष्ट्र हित दाह संस्कार के बारे में सोच सकते हैं। 

दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज में आयोजित धार्मिक सभा से जुड़े COVID​​-19 के मामलों के सामने आने के बाद वीएचपी का यह बयान सामने आया है।

विहिप के पदाधिकारी ने कहा कि कुछ मस्जिदें सरकार द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रही हैं।

उन्होंने कहा कि सरकारी निर्देशों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। जो मौलवी वीजा मानदंडों की धज्जियां उड़ा रहे हैं, उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

परांडे ने कहा कि आज राम जन्मभूमि के पक्ष में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पहली राम नवमी होने के बावजूद अयोध्या में भी इस उत्सव को लेकर भीड़ इकठ्ठा नहीं होने दिया गया है।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि पिछले 12 घंटों में 131 लोगों के पॉजिटिव होने की पुष्टि के बाद गुरुवार को भारत में कोरोनोवायरस के कुल मामले 1965 तक पहुंच गए।

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