भोपाल नगर निगम के 2 हिस्से करने की तैयारी, भाजपा ने लगाया बंटवारे की सियासत का आरोप

भोपाल नगर निगम के 2 हिस्से करने की तैयारी, भाजपा ने लगाया बंटवारे की सियासत का आरोप

IANS News
Update: 2019-10-09 10:00 GMT
भोपाल नगर निगम के 2 हिस्से करने की तैयारी, भाजपा ने लगाया बंटवारे की सियासत का आरोप

भोपाल, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश सरकार ने भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने की कवायद तेज कर दी है। सरकार की इस कोशिश पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सख्त एतराज जताते हुए कांग्रेस पर देश की तरह ही नगर निगम के बंटवारे का आरोप लगाया है।

राज्य सरकार ने भोपाल की जनसंख्या में हुई बढ़ोतरी और आमजन को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने का फैसला लिया है। इसके लिए नगरीय निकाय विभाग ने ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है और लोगों से दावे व आपत्तियों के लिए भी कहा गया है। किसी भी तरह का दावा या आपत्ति 16 अक्टूबर तक दर्ज कराए जा सकेंगे। इसके बाद राज्य की राजधानी में कोलार और भोपाल दो नगर निगम हो जाएंगे।

नगर निगम को भोपाल और कोलार दो क्षेत्रों में बांटे जाने के फैसले पर भाजपा ने सख्त एतराज जताया है। भाजपा के विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा, जाति, धर्म और समुदाय को बांटकर पिछले 70 सालों से देश में राजनैतिक रोटियां सेंकने वाली कांग्रेस ने हिंदू-मुस्लिम आधार पर भोपाल को बांटने की तैयारी कर ली है। भोपाल में दो नगर निगम बनाने के पीछे क्या उद्देश्य है? इससे जनता को क्या फायदा होगा, यह समझ से परे है।

शर्मा की मांग है कि भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने से पहले जनता को यह बताना चाहिए कि सरकार ऐसा क्यों करना चाहती है। उन्होंने कहा कि भोपाल में दो नगर निगम बनाने के प्रस्ताव पर मतदान कराकर भोपाल की जनता का रुख जानना चहिए।

इसके साथ ही भाजपा के पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भी नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने के फैसले का विरोध किया। उन्होंने कहा, कांग्रेस की कोशिश हमेशा से देश में बंटवारे की रही है। पहले देश को भाषा और मजहब के नाम पर बांटा और अब शहर को बांटने का काम कर रहे हैं।

वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है, कांग्रेस ने हमेशा सत्ता के विकेंद्रीकरण का समर्थन किया है। क्षेत्रफल और जनसंख्या के लिहाज से भोपाल बीते सालों में काफी बढ़ गया है। इसमें ग्रामीण इलाके शामिल हुए हैं। इसके चलते महापौर (मेयर) की पहुंच सभी स्थानों तक नहीं हो पाती। सत्ता का विकेंद्रीकरण करने के लिए दो नगर निगम बनाने का फैसला लिया है।

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