टीएमसी सांसद को झटका: कम होने का नाम नहीं ले रहीं महुआ मोइत्रा की मुश्किलें! सरकारी बंगला खाली करने के मामले में नहीं मिली कोर्ट से राहत

  • महुआ मोइत्रा को मिला हाई कोर्ट से झटका
  • सरकारी बंगला आवंटन मामले में दायर याचिका खारिज
  • बंगला खाली कराने के लिए मांगा था समय

Anchal Shridhar
Update: 2024-01-18 21:19 GMT

डिजिटल डेस्क, भोपाल। तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा की लोकसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। दरअसल, गुरूवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने महुआ द्वारा सरकारी बंगला खाली करने के मामले में दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। टीएमसी नेता ने संपदा निदेशालय के नोटिस को चैलेंज देते हुए हाईकोर्ट को रुख किया था।

बता दें कि लोकसभा से निष्कासित होने के बाद संपदा निदेशालय ने महुआ को सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया था। इस भवन को उन्हें बतौर सांसद आवंटित हुआ था। लेकिन जब उनकी संसद सदस्यता रद्द हुई तो उनके सरकारी बंगले का आवंटन रद्द कर दिया गया था। बीते साल 8 दिसंबर में उनके लोकसभा से निष्कासित होने के बाद उन्हें आवंटित हुआ सरकारी बंगला खाली करने के लिए संपदा निदेशालय द्वारा नोटिस भेजा गया था।

हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान महुआ के वकील ब्रिज गुप्ता ने कहा कि वह अधिकारियों को बंगला खाली करने के नोटिस पर पेनाल्टी देने के लिए भी तैयार है। मगर, उन्हें परिसर से इस तरह से ना निकाला जाए। कोर्ट में दलील देते समय एडवोकेट टीएमसी नेता के वकील ने कहा, " महुआ मोइत्रा का एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है और दिल्ली में उनके पास कोई दूसरा घर नहीं है।"

कोर्ट ने बंगला खाली करने पर पूछा सवाल

कोर्ट ने जब महुआ के वकील से बंगला खाली करने में लगने वाले समय को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, "चार महीने का समय लगेगा, लेकिन अगर कोर्ट को लगता है कि इतना समय ज्यादा है तो दो या ढ़ाई महीने भी ठीक रहेगा।" इस पर कोर्ट ने कहा, चार महीने क्यों? आवास को खाली करने के लिए तीन दिन क्यों नहीं? यदि आपने तीन दिन, चार दिन या एक सप्ताह का समय मांगा होता तो इस पर विचार करते।"

इस पर सरकारी वकील ने कहा कि महुआ मोइत्रा यह आवास उन्हें सांसद बनने पर आवंटित किया गया था। अब उनकी लोकसभा सदस्यता भी रद्द हो चुकी है। जिस पर माहुआ के वकील ने कहा, "वह (महुआ मोइत्रा) बहुत बीमार हैं। इतनी कि बिस्तर से हिल भी नहीं सकती। ऐसी कंडीशन में उन्हें आवास से बेदखल करना चाहते हैं?"

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