टॉस बना रहेगा टेस्ट क्रिकेट का अहम हिस्सा, ICC क्रिकेट कमेटी का फैसला

टॉस बना रहेगा टेस्ट क्रिकेट का अहम हिस्सा, ICC क्रिकेट कमेटी का फैसला

Bhaskar Hindi
Update: 2018-05-29 19:29 GMT
टॉस बना रहेगा टेस्ट क्रिकेट का अहम हिस्सा, ICC क्रिकेट कमेटी का फैसला

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंटरनेशनल क्रिकेट में टॉस की क्या भूमिका है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि कई बार खिलाड़ियों के प्रदर्शन से भी ज्यादा, टॉस मैच का नतीजा निर्धारित कर देता है। यही वजह है कि कई दिनों से टेस्ट क्रिकेट में टॉस की परंपरा खत्म करने पर विचार किया जा रहा था। मंगलवार को अनिल कुंबले की अगुवाई वाली ICC की क्रिकेट कमेटी ने टॉस को क्रिकेट का एक अहम हिस्सा मानते हुए इसे खत्म करने से इनकार कर दिया।

टॉस क्रिकेट का एक अभिन्न हिस्सा
मीटिंग के बाद ICC ने अपनी विज्ञप्ति में कहा, कमेटी ने चर्चा की थी कि क्या टॉस का अधिकार सिर्फ दौरा करने वाली टीम के सुपुर्द कर दिया जाए, लेकिन बाद में महसूस किया गया कि यह टेस्ट क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा है, जो खेल की शुरुआत में मैच की भूमिका तय करता है।" कमेटी ने मीटिंग में खिलाड़ियों के व्यवहार के संबंध में सिफारिशें की और वर्ल्ड क्रिकेट संचालन संस्था से कड़े कदम उठाने और खिलाड़ियों और प्रतिस्पर्धी टीम के बीच ‘सम्मान की संस्कृति’ को बरकरार रखने की वकालत की। इसके अलावा कमेटी में शामिल ज्यादातर लोगों ने इस बात पर अपनी सहमति जताई कि मेजबान देश को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप को ध्यान में रखते हुए बेहतर स्तर की पिचें तैयार करनी चाहिए।

आचार संहिता से संबंधित सुझाव रखें
कमेटी ने इस मीटिंग में आचार संहिता से संबंधित कुछ सुझाव रखे हैं। इनमें गेंद से छेड़छाड़ से जुड़े प्रतिबंध को बढ़ाना, अनुचित फायदा उठाने का प्रयास करने के लिए नए अपराध को शामिल करने पर विचार करना, मैच रैफरी को किसी अपराध या उल्लंघन के स्तर को बढ़ाने या घटाने का अधिकार देना, अपमानजनक, व्यक्तिगत और आक्रामक अपशब्दों के लिए नए उल्लंघन बनाना और सम्मान संहिता बनाना शामिल है। अनिल कुंबले ने कहा, "हमने खिलाड़ियों के बर्ताव के मुद्दे को लेकर काफी अच्छी चर्चा की और मैं माइक गैटिंग और डेविड बून का हमसे जुड़ने और चर्चा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए शुक्रिया करना चाहूंगा।" 

कौन-कौन है क्रिकेट कमेटी में?
पूर्व भारतीय कप्तान और कोच अनिल कुंबले ICC क्रिकेट कमेटी के अध्यक्ष हैं। वहीं इस कमेंटी में एंड्रयू स्ट्रॉस, महेला जयवर्धने, राहुल द्रविड़, टिम मे, न्यूजीलैंड क्रिकेट के मुख्य कार्यकारी डेविड वाइट, अंपायर रिचर्ड केटलबोरोग, ICC मैच रेफरी प्रमुख रंजन मदुगले, शॉन पोलाक और क्लेरी कोनोर हैं।

क्यों उठी थी टॉस को खत्म करने की मांग
टॉस की खिलाफत करने वालों का तर्क था कि इससे मेजबानी करने वाली टीम को फायदा मिलता है और इसके लिए खराब पिच बनाने के मामले सामने आते हैं। टॉस के बजाय मेहमान टीम को बल्लेबाजी या गेंदबाजी चुनने का विकल्प दिया जा सकता और ऐसा होने पर न्यूट्रल विकेट बनने की संभावना ज्यादा हो जाएगी।

कब से शुरू हुई टॉस की परंपरा?
इंटरनेशनल क्रिकेट में टॉस की परंपरा इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 1877 में खेले गए पहले टेस्ट मैच से चली आ रही है। इससे यह तय किया जाता है कि कौन सी टीम पहले बल्लेबाजी और कौन से टीम गेंदबाजी। सिक्का घरेलू टीम का कप्तान उछालता है और मेहमान टीम का कप्तान "हेड या टेल" बोलता है। अगर इसे खत्म करने का फैसला हो जाता है तो यह क्रिकेट के खेल का बेहद अहम फैसला होगा। 

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