नौकरी नहीं है, चाय बेचकर घर चला रहा है एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज जीतने वाला यह खिलाड़ी

नौकरी नहीं है, चाय बेचकर घर चला रहा है एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज जीतने वाला यह खिलाड़ी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-08 15:24 GMT
नौकरी नहीं है, चाय बेचकर घर चला रहा है एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज जीतने वाला यह खिलाड़ी
हाईलाइट
  • सेपकटकरा इवेंट में भारत को ब्रॉन्ज दिलाने वाले हरीश कुमार चाय बेचकर अपना घर चला रहे हैं।
  • हरीश ने कहा कि वह देश के लिए बहुत मेडल जीतना चाहते हैं।
  • हरीश की चाय की दुकान दिल्ली में मजनू के टीले के पास स्थित है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत ने 2018 एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन किया है। मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ी अपने अपने काम में लग गए। इसमें से एक ऐसा खिलाड़ी भी है, जिसके पास नौकरी नहीं है और वह चाय बेचकर अपना घर चला रहा है। हम बात कर रहे हैं सेपकटकरा इवेंट में भारत को ब्रॉन्ज दिलाने वाले हरीश कुमार की। सरकार ने मेडल जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को कुछ राशि देने का वादा किया है, पर इस खिलाड़ी के पास अभी भी कोई अच्छी नौकरी नहीं है।

हरीश की चाय की दुकान दिल्ली में मजनू के टीले के पास स्थित है। इस दुकान को उनके पिता ने शुरु किया था। हरीश के मुताबिक उनका परिवार काफी बड़ा है। उनके पिता एक ऑटो ड्राइवर हैं, जबकि दोनों बहनें अंधी हैं। हरीश बताते हैं, "ऑटोरिक्शा से इतनी कमाई नहीं हो पाती थी। इस वजह से हमने एक चाय का दुकान भी खोल लिया। तब से लेकर अब तक मैं दुकान पर अपने पिता का हाथ बंटा रहा हूं। फिलहाल यही हमारे घर का एकमात्र इनकम का जरिया है। मैं सबसे पहले अपनी 12वीं कक्षा पास करना चाहता हूं। इसके बाद मुझे एक अच्छी नौकरी चाहिए ताकि मैं अपने घर और परिवार का अच्छे से भरन-पोषण कर सकूं।"

हरीश ने खुद का शेड्युल बताते हुए कहा, "मैं सुबह से लेकर दो बजे तक दुकान पर पिता की मदद करता हूं। वहीं दो बजे से लेकर शाम के छह बजे तक, चार घंटे खेल का अभ्यास करता हूं।" वहीं हरीश की मां बताती हैं कि हरीश ने बचपन से बहुत संघर्ष किया है। वह बहुत मेहनत करता है। ""मैं अपने बेटे की सफलता पर सरकार और कोच हेमराज को तहेदिल से शुक्रिया अदा करती हूं।""

हरीश ने यह खेल क्यों चुना इस बारे में बताते हुए हरीश ने कहा कि वह बचपन में टायर की बनी हुई गेंद से खेला करते थे। उन्होंने कहा, "2011 में जब एक दिन मैं टायर से बनी गेंद से खेल रहा था, तो मेरे कोच हेमराज ने मुझे देखा। मुझे लगातार पैर से गेंद को उठाते हुए देखकर हेमराज बहुत प्रभावित हुए। वह मुझे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ले गए। काफी प्रैक्टिस करने के बाद मुझे वहां से मंथली फंड और किट मिलना शुरु हुआ। मैं हर दिन प्रैक्टिस करता हूं और देश के लिए बहुत मेडल जीतना चाहता हूं।"

बता दें कि भारत ने एशियन गेम्स में सेपकटकरा इवेंट में ब्रॉन्ज जीत कर इतिहास रच दिया। यह भारत का इस इवेंट में एशियन गेम्स का पहला मेडल था। सेपकटकरा को ""किक वॉलीबॉल"" भी कहते हैं। इस खेल में वॉलीबॉल, फुटबॉल और जिम्नास्टिक का मिश्रण है। इस खेल को दो प्रकार से खेला जाता है। पहला टीम इवेंट होता है, जिसमें 15 खिलाड़ी होते हैं। वहीं दूसरा रेगू इवेंट होता है, जिसमें पांच खिलाड़ी होते हैं।

एशियन गेम्स 2018 में भारत ने 15 गोल्ड, 24 सिल्वर और 30 ब्रॉन्ज सहित कुल 69 पदक अपने नाम किए। इसी के साथ भारत मेडल्स टैली में 8वें स्थान पर रहा। वहीं चीन, जापान और दक्षिण कोरिया अंक तालिका में टॉप-3 पर रहे। चीन 132 गोल्ड, 92 सिल्वर और 65 ब्रॉन्ज कुल 289 पदक के साथ पहले स्थान पर रहा। 

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