एशियाई पैरालिंपिक शतरंज में मृणाली ने जीता रजत और कांस्य

एशियाई पैरालिंपिक शतरंज में मृणाली ने जीता रजत और कांस्य

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-17 10:33 GMT
एशियाई पैरालिंपिक शतरंज में मृणाली ने जीता रजत और कांस्य
हाईलाइट
  • बचपन में एक दुर्घटना के चलते मृणाली को आंखों की रोशनी गंवानी पड़ी
  • महिलाओं की टीम ने रैपिड की चौथी श्रेणी का जीता रजत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित एशियाई पैरालिंपिक स्पर्धा के शतरंज में बढ़िया प्रदर्शन करते हुए नागपुर की मृणाली पांडे ने रजत और कांस्य पदक पर कब्जा जमाया। मृणाली ने स्पर्धा के निजी मुकाबलों में कांस्य पदक जीता, जबकि महिलाओं की टीम ने रैपिड की चौथी श्रेणी का रजत पदक अपने नाम किया।

कभी हार नहीं मानी
बचपन में एक दुर्घटना के चलते मृणाली को आंखों की रोशनी गंवानी पड़ी, बावजूद इसके कभी हार नहीं मानी। परिस्थितियों से संघर्ष करती रही। पिता प्रकाश और माता सुनंदा पांडे ने हमेशा सहयोग किया। मृणाली ने अंध विद्यालय में शिक्षा ग्रहण के दौरान शतरंज खेलना आरंभ किया और अपने कॉलेज की पढ़ाई के वर्षों में कई प्रतियोगिताओं में सफलता पूर्वक हिस्सा लेकर पदक भी जीता। प्रकाश और सुनंदा पांडे की दो और बेटियां समीक्षा और मृदुला अभियांत्रिकी में पदवीधर हैं। दोनों इस समय पुणे स्थित कंपनी में नौकरी कर रही हैं। मृणाली और मृदुला जुड़वां बहनें हैं। मृणाली ने अपने प्रयास से साबित कर दिया कि मेहनत से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।

बेटी ने गर्व से सिर ऊंचा कर दिया
मृणाली के पिता प्रकाश पांडे बेटी की कामयाबी से गौरवान्वित हैं। उन्होंने कहा कि बेटी ने सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। देश के लिए पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है। मृणाली का यह सपना पूरा हुआ। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने का भी मृणाली को अवसर मिला। यह हमारे परिवार के लिए खुशी का क्षण है।

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