ये महिला बनी पहली बार पुरुष फुटबॉल टीम की कोच, जाने इनके बारे में

ये महिला बनी पहली बार पुरुष फुटबॉल टीम की कोच, जाने इनके बारे में

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-05 08:58 GMT
ये महिला बनी पहली बार पुरुष फुटबॉल टीम की कोच, जाने इनके बारे में

डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। जहां महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता है। वहीं अगर आपको ये पता चले कि किसी पुरुष फुटबॉल टीम की कोच महिला है तो आप सोच में पड़ जाएगे है। लेकिन आप इसे भी ज्यादा तब हैरान होंगे जब आपकों पता चलेगा कि ऐसा पाकिस्‍तान में हो रहा है। जी हां, आपको बता दें कि पाकिस्‍तान की नेशनल वुमन फुटबॉल टीम की मैनेजर रहीला ज़रमीन को एक प्रोफेशनल पुरुष फुटबॉल टीम का कोच बनाया गया है। कराची इलेक्‍ट्र‍िक नाम की मेन टीम ने रहीला को अपना कोच बनाया है। साथ ही रहीला को लीज़र लीग की ब्रैंड ऐम्बेसडर भी हैं। वह दक्षिण एशिया की पहली महिला हैं जो पुरुषों की किसी प्रफेशनल टीम की कोच हैं।

बचपन से ही खेलती हैं फुटबॉल
रहीला का बचपन बलूचिस्तान में अपनी दो बहनों के साथ फुटबॉल खेलते हुए बीता। चूंकि क्वेटा में कोई फुटबॉल का मैदान नहीं था तो वह गर्ल्स कॉलेज के हॉकी मैदान पर खेलतीं थी फुटबॉल। शाह मीर बलूच ने Dawn के लिए रहीला ज़रमीन का इंटरव्यू लिया तो इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उन्हें फुटबॉल की प्रेरणा डेविड बेकहम से मिली है।उन्होने बताया कि फुटबॉल खेलते वक्त वो डेविड बेकहम की कॉपी करने की कोशिश करतीं थी। इसलिए नहीं क्योंकि वह उनके टैटू और हेटरस्टाइल्स से प्रभावित थीं बल्कि इसलिए क्योंकि वह एक शानदार खिलाड़ी थे।

सरकार ने नहीं दी कभी कोई मदद
रहीला कहती हैं, "प्रांतीय सरकार की ओर से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली। साल 2012 में वह बलूचिस्तान के लिए मेडल जीतकर लाईं। 2013 और 2014 में उन्हें सिल्वर और गोल्ड मेडल मिले लेकिन सरकार ने उनके प्रयासों को गंभीरता से नहीं लिया।

इंटरव्‍यू में उन्होंने बताया कि उनकी बहन शैला बलूच FIFA द्वारा सबसे युवा प्लेयर के तौर पर चुनी गईं हैं और वह खुद पहली पाकिस्तानी फुटबॉलर बनीं जिन्होंने फॉरेन लीग में हैट-ट्रिक हासिल की हो। लेकिन पाकिस्तान की न तो प्रांतीय न ही संघीय सरकार की ओर से कोई सराहना मिली। रहीला ने कहा, "कुछ लोग मेरी मां की भी आलोचना करते हैं क्योंकि वह बलूचिस्तान की महिला फुटबॉल टीम की प्रेसिडेंट थीं और यह दावा करते हैं कि हम उनकी वजह से आगे बढ़ पाए जबकि सच तो यह है कि हमने संघर्ष किया।"

रहीला ने कहा कि "बाधाएं उस रास्ते का हिस्सा होती हैं जिस पर चलकर सफलता मिलती है। मुझे लगता है ये मुझे आगे भी मिलती रहेंगी। लेकिन मेरा लक्ष्य स्‍पष्‍ट है।"
 

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