फीफा वर्ल्ड कप : रमजान के महीने में खिलाड़ियों का कड़ा इम्तिहान

फीफा वर्ल्ड कप : रमजान के महीने में खिलाड़ियों का कड़ा इम्तिहान

Bhaskar Hindi
Update: 2018-06-13 02:35 GMT
फीफा वर्ल्ड कप : रमजान के महीने में खिलाड़ियों का कड़ा इम्तिहान
हाईलाइट
  • फीफा वर्ल्ड कप से पहले खिलाड़ियों की मुश्किल !
  • रमजान के महीने में प्रैक्टिस पर पड़ रहा असर
  • रमजान में महीने में खिलाड़ियों का कड़ा इम्तिहान

डिजिटल डेस्क, मॉस्को। 14 जून से शुरु होने वाले फुटबॉल के वर्ल्ड कप के लिए दुनियाभर की 32 टीमें अपनी तैयारियां परखने में जुटी हुई हैं। जैसे जैसे दिन नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे खिलाड़ियों का शेड्यूल और प्रैक्टिस और कड़ी होती जा रही है लेकिन कुछ खिलाड़ियों के लिए ये वक्त एक कड़े इम्तिहान से कम नहीं है क्योंकि रमजान के पाक महीने में उन्हें एक तरफ जहां ऊपर वाले की कठिन इबादत करनी पड़ रही है तो वहीं दूसरी तरफ मैदान पर कड़ी मेहनत । 

 

 

रोजे के दौरान इम्तिहान 

 

ट्यूनिशिया, मिस्त्र, मोरक्को, नाइजिरिया, सेनेगल, सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों की फुटबॉल टीमों में ऐसे कई मुसलमान खिलाड़ी हैं जो रोजे रखे हुए हैं, ऐसे में उनके लिए टूर्नामेंट की तैयारी में लगातार मैदान पर मेहनत करना पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो गया है। मिस्त्र की टीम के डॉक्टर मोहम्मद अबुलेला का कहना है कि रमजान एक बड़ी और काफी मुश्किल भरी चुनौती है। रमजान के दौरान सोने के वक्त, खाने के वक्त और उसकी मात्रा सबकुछ बदलना पड़ता है। इसलिए टीम के पास सिर्फ 6 या 7 घंटे होते हैं जब वे अच्छे से ट्रेनिंग कर पाते हैं और कम से कम 2 बार कुछ खा पाते हैं। इतना ही नहीं डॉक्टर का ये भी कहना है कि जब रमजान का महीना खत्म होगा तो उन्हें माहौल में ढलने में भी वक्त लगेगा। रमजान का महीना मई के बीच में शुरू हुआ था जिससे साफ है कि करीब एक महीने तक मुसलमान खिलाड़ियों पर इसका असर रहा। रमजान का महीना गुरुवार को खत्म हो रहा है और राहत की बात ये है कि उसी दिन से वर्ल्ड कप की शुरुआत हो रही है। 

 

 

30 मिनट के बाद दौड़ना होता है मुश्किल 

 

मिस्त्र के एक खिलाड़ी ने नाम न बताने की शर्त पर रोजे के दौरान प्रैक्टिस में होने वाली दिक्कतों के बारे में बताया है। उसका कहना है कि जब आप रोजे रखते हैं तो 30 मिनट के बाद दौड़ तक नहीं पाते, सांस उखड़ने लगती है और एक वक्त ऐसा आता है जब लगता है कि आपके पैर आपका बोझ उठाने के लिए तैयार नहीं हैं। 
 

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