आज तक नहीं समझ पाया, सचिन को वर्ल्ड कप में आउट क्यों नहीं दिया था : सईद अजमल

आज तक नहीं समझ पाया, सचिन को वर्ल्ड कप में आउट क्यों नहीं दिया था : सईद अजमल

Bhaskar Hindi
Update: 2017-11-30 13:49 GMT
आज तक नहीं समझ पाया, सचिन को वर्ल्ड कप में आउट क्यों नहीं दिया था : सईद अजमल

डिजिटल डेस्क, कराची। वर्ल्ड कप 2011 को 5 साल बीत गए हैं, लेकिन पाकिस्तान के ऑफ स्पिनर सईद अजमल को एक मैच में अंपायर का एक फैसला आज तक समझ नहीं आया है। वर्ल्ड कप 2011 के सेमीफाइनल में अजमल की गेंद पर अंपायरों ने सचिन तेंडुलकर को नॉट आउट करार दिया था, जबकि सचिन उस गेंद पर आउट थे। बस अंपायरों का यही फैसला उन्हें आज तक समझ नहीं आया है।

40 साल के हो चुके पाकिस्तानी गेंदबाज अजमल ने हाल ही में क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। उन्होंने सन्यास लेते हुए गेंदबाजी एक्शन के आकलन के ICC के प्रोटोकॉल की आलोचना भी की। अपने सफल लेकिन विवादास्पद कैरियर में ऑफ स्पिनर अजमल ने 35 टेस्ट में 178 विकेट लिए। उन्होंने आखिरी टेस्ट 2014 में श्रीलंका के खिलाफ गाले में खेला था, जहां उनके गेंदबाजी एक्शन की दूसरी बार शिकायत की गई थी।

अजमल ने स्वीकार किया कि भारतीय बल्लेबाजों को गेंदबाजी करना आसान नहीं था। उन्होंने कहा, "तेंडुलकर एंड कंपनी को गेंदबाजी करना हमेशा कौशल और क्षमता का परीक्षण होता था।" मोहाली में पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में तेंडुलकर ने 85 रन बनाए थे। अजमल ने उन्हें आउट किया था। अजमल ने कहा, "मैं आश्वस्त था कि वह LBW आउट थे, लेकिन आज तक मुझे समझ में नहीं आया कि अंपायरों ने उन्हें आउट क्यों नहीं दिया।"

अजमल ने भारी मन से ली विदा

अजमल ने कहा, " मुझे लगता है कि ICC का प्रोटोकॉल काफी कड़ा है। यही कारण है कि मैं भारी मन से विदा ले रहा हूं। यदि आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे सभी गेंदबाजों का टेस्ट किया जाए तो कम से कम 90 प्रतिशत इसमें फेल हो जाएंगे।" उन्होंने कहा कि यदि पीसीबी ने ICC के सामने उनका पक्ष और मजबूती से रखा होता तो उन्हें संतोष होता।

संन्यास के बाद अजमल ने कहा, "अब समय आ गया है कि युवा खिलाड़ियों को मौका देना चाहिए। मुझे ऐसा लग रहा है कि घरेलू टीमों में भी मुझे बोझ माना जाने लगा है और मैं अपना सम्मान नहीं खोना चाहता।" उन्होंने कहा, "मेरे गेंदबाजी एक्शन को अवैध करार दिए जाने के बाद बोर्ड ने मेरा साथ दिया, लेकिन ICC के सामने इस प्रोटोकॉल को चुनौती देकर वे मेरा पक्ष और मजबूती से रख सकते थे।"

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