जब 'भगवान' को रहना पड़ा भूखा, जानिए क्या है पूरा किस्सा

जब 'भगवान' को रहना पड़ा भूखा, जानिए क्या है पूरा किस्सा

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-23 03:36 GMT
जब 'भगवान' को रहना पड़ा भूखा, जानिए क्या है पूरा किस्सा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। इंडियन टीम के पूर्व महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को "गॉड ऑफ क्रिकेट" और "मास्टर ब्लास्टर" कहा जाता है। सचिन को जितना क्रिकेट खेलने का शौक है, उतना ही उन्हें खाने-पीने का भी शौक है। सचिन को वैसे तो अपनी मां के हाथों से बना खाना ही पसंद था, लेकिन एक बार उन्हें चायनीज फूड खाने का शौक सवार हुआ। इसके लिए उन्होंने 10 रुपए भी अपने दोस्तों के पास जमा कराए, लेकिन उसके बावजूद सचिन को चायनीज खाने को नहीं मिला और रेस्टोरेंट से उन्हें भूखा ही लौटना पड़ा। इस बात का जिक्र सचिन ने अपनी नई बुक "चेज़ योर ड्रीम्स" में किया है। ये बुक उनकी ऑटोबायोग्राफी "प्लेइंग इट माय वे" का सेकंड वर्जन या चाइल्डहुड वर्जन है। इस बुक में सचिन के बचपन के कई किस्से हैं। उन्हीं में से एक ये "चाइनीज फूड" वाला किस्सा है। 

 

फ्रेंड्स के साथ चाइनीज फूड खाने का प्लान

 

 

सचिन की नई बुक "चेज़ योर ड्रीम्स" में उनके बचपन का ये उस समय का किस्सा है, जब वो 9 साल के थे। इस बुक के मुताबिक, ये किस्सा 1980 का है और इस दौर में मुंबई में चाइनीज फूड का क्रेज था। 9 साल की उम्र में चाइनीज फूड के बारे में सुनकर सचिन को भी इसे खाने की इच्छा हुई। इसके बाद सचिन और उनके कॉलोनी के दोस्तों ने मिलकर चाइनीज फूड खाने का प्लान बनाया। इसके लिए सबको 10-10 रुपए जमा कराने थे। बता दें कि "गॉड ऑफ क्रिकेट" सचिन का बचपन मुंबई के बांद्रा ईस्ट इलाके की साहित्य सहवास कॉलोनी में बीता था। 

 

10 रुपए देने के बाद भी भूखे लौटे सचिन

 

 

सचिन ने अपनी इस बुक में लिखा है कि, "चाइनीज फूड खाने के लिए कॉलोनी के सभी दोस्तों ने 10-10 रुपए जमा किए थे। उस समय 10 रुपए बहुत ज्यादा थे, लेकिन मैं कुछ नया खाने के लिए बहुत एक्साइटेड था। इसके बाद शाम को हम सब दोस्त एक रेस्टोरेंट में गए, जहां हमने पहले चिकन और स्वीट कॉर्न सूप ऑर्डर किया।" सचिन ने आगे लिखा, "हम सब लोग एक लंबी सी टेबल पर बैठे थे, जिसमें सीनियर सबसे पहले और छोटे उम्र के लोग आखिरी में बैठे हुए थे। मैं उन सबमें सबसे छोटा था। जब सूप आया तो सीनियर्स ने ज्यादातर खत्म कर दिया। मुझ तक पहुंचते-पहुंचते वो ना के बराबर बचता था। इसके बाद फ्राइड राइस और चाउमिन के साथ भी यही हुआ। हर डिश में से मुझे सिर्फ 2-2 चम्मच खाने को मिला।" उन्होंने आगे लिखा है कि, "सीनियर्स ने हमारे खर्चे से भरपूर एंजॉय किया, लेकिन मैं रेस्टोरेंट से भूखा-प्यासा घर लौट आया।" 

 

पापा ने कहा था- चेज़ योर ड्रीम्स, लेकिन शॉर्टकट नहीं लेना

 

 

अपनी नई बुक "चेज योर ड्रीम्स" टाइटल सचिन ने यूंही नहीं रखा। ये बात सचिन के पापा उनसे हमेशा कहा करते थे। इस बुक में सचिन ने बताया है कि, "उनकी मां बहुत अच्छा खाना बनाती हैं और वो मुझे खुश रखने के लिए लजीज फिश और प्राउन करी, बैंगन भर्ता, राइस बनाती हैं।" उन्होंने आगे लिखा है, "11 साल की उम्र में मेरे पापा ने करियर को लेकर मुझे आजादी दे दी थी। उनका कहना था "चेज़ योर ड्रीम्स", पर हमेशा इस बात का ध्यान का रखना कि इसके लिए कभी शॉर्टकट मत लेना।" 

 

बच्चों को इंस्पिरेशन देने के लिए लिखी है बुक

 

 

सचिन की "चेज़ योर ड्रीम्स" बच्चों और यंगस्टर्स को इंस्पिरेशन देने के लिए लिखी गई है। इस बुक में चाइनीज फूड एक्सपीरियंस के अलावा और भी कई रोचक किस्सों का जिक्र किया गया है। इस बुक में सचिन के पूरे बचपन के बारे में बताया गया है। इस बुक के पब्लिशर "हैचेट इंडिया" का कहना है कि "ये किसी भी इंडियन स्पोर्ट्सपर्सन की पहली ऑटोबायोग्राफी है, जो उनके बचपन पर बेस्ड है। इस बुक में सचिन की इंस्पिरेशनल स्टोरी को इंटरेस्टिंग और आसान तरीके से पेश करने की कोशिश की गई है।" "चेज़ योर ड्रीम्स" को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए कॉमिक विजुअल्स और इलस्ट्रेशन का इस्तेमाल किया गया है। 

Similar News