क्या वाकई अर्जुन के लिए 'सचिन तेंदुलकर' बन पाना आसान होगा? 

क्या वाकई अर्जुन के लिए 'सचिन तेंदुलकर' बन पाना आसान होगा? 

Bhaskar Hindi
Update: 2017-09-12 07:41 GMT
क्या वाकई अर्जुन के लिए 'सचिन तेंदुलकर' बन पाना आसान होगा? 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आमतौर पर हमारे समाज में बेटे के बड़े होने का पता इस बात से चलता है, जब बाप का जूता बेटा के पैर में फिट हो जाए, लेकिन क्या सेलेब्रिटी लोगों केलिए भी ऐसा ही होता होगा। क्योंकि सचिन के बेटे अर्जुन के पैर में सचिन का जूता नहीं बल्कि "पैड" फिट बैठ गया है, तो इसका क्या मतलब लगाया जाए कि अर्जुन अब बड़े हो गए हैं और अब उन्हें भी देश का अगला सचिन बनने के लिए मेहनत करनी शुरू कर देनी चाहिए। अर्जुन तेंदुलकर 17 साल के हो गए हैं और इस उम्र में सचिन ने भारत के लिए क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था, लेकिन अर्जुन अभी अंडर-19 टीम में ही खेलेंगे। 

अर्जुन तेंदुलकर का सिलेक्शन हाल ही में अंडर-19 टीम में हुआ है और ये टीम बडौदा में होने वाले जेवाय लेले इन्विटेशनल टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाली है। ये टूर्नामेंट BCCI का नहीं है, लेकिन मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के तहत आता है। ऐसे में अर्जुन के लिए ये टूर्नामेंट काफी अहम है। आमतौर पर आम लोगों को लगता है कि किसी भी फील्ड में सक्सेस होने के लिए गॉडफादर होना बहुत जरूरी होता है। बिना गॉडफादर के फील्ड में टिक पाना इतना आसान नहीं है और अर्जुन के साथ भी यही बात है। हम सभी लोगों को यही लगता है कि अर्जुन के लिए इंडिया टीम में सिलेक्ट हो पाना बहुत आसान होगा, क्योंकि उनके पास गॉडफादर नहीं बल्कि "गॉड ऑफ क्रिकेट" हैं। तो अर्जुन को इंडिया टीम में आने में कोई दिक्कत तो आ ही नहीं सकती, लेकिन असल में सचिन के बेटे के लिए क्रिकेट में टिक पाना उतना आसान नहीं है, जितना आम लोग समझते हैं।

क्या वाकई अर्जुन के लिए क्रिकेट की राह आसान है? 

अर्जुन तेंदुलकर अपने पिता की तरह राइट हैंड बैट्समैन नहीं है। अर्जुन लेफ्ट हैंड से बॉलिंग करते हैं और बैटिंग भी अच्छी कर लेते हैं, लेकिन फिर भी क्रिकेट की राह उनके लिए इतनी आसान नहीं है। असल में लोगों का ये मानना है कि गॉडफादर होने से फील्ड में टिक पाना आसान होता है और एंट्री भी आसानी से हो जाती है, लेकिन सही मायनों में ये गॉडफादर ही बाद में करियर को नुकसान पहुंचाता है। हमारे देश में वैसे ही लोग बहुत उम्मीद लगाए बैठे होते हैं और अगर फिर कोई क्रिकेटर हमारी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता है तो हम उसे पानी पी-पीकर कोसना शुरू कर देते हैं। अर्जुन के साथ भी ऐसा ही हो सकता है, क्योंकि उनके पिता एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके नाम कई वर्ल्ड रिकॉर्ड हैं, इसके अलावा सचिन अगर आज भी ग्राउंड पर पैड पहनकर उतर जाएं तो लोगों को इस बात की पूरी उम्मीद रहेगी कि वो मैच जीताकर ही वापस आएंगे। बस, यही बात अर्जुन के करियर को नुकसान पहुंचा सकती है। सचिन से जिस तरह की उम्मीद लोगों को थी, उतनी ही उम्मीद लोगों को अर्जुन से भी रहेगी और अगर अर्जुन लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने में नाकाम रहते हैं तो उनका करियर खत्म हो सकता है। एक प्लेयर के लिए फ्री माइंड से खेलना बहुत जरूरी होता है लेकिन अर्जुन शायद ही कभी फ्री माइंड से खेल सकें। क्योंकि उनके ऊपर पहला तो अपने पिता की तरह परफॉर्म करने का प्रेशर रहेगा, दूसरा लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रेशर। और जब इस तरह से प्रेशर लेकर वो खेलेंगे तो संभव है कि वो अच्छा परफॉर्म न कर पाएं। 

सचिन भी जता चुके हैं इस बात पर चिंता

सचिन तेंदुलकर ने भी इस बात की चिंता जताई है कि अर्जुन के लिए क्रिकेट की राह उतनी आसान नहीं होगी, जितना बाकी लोगों को लगता है। सचिन ने पिछले साल दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि, "बदकिस्मती से अर्जुन के कंधों पर सरनेम का बोझ है और मैं जानता हूं कि ये आगे भी रहेगा और ये सब इतना आसान भी नहीं होगा।" सचिन ने आगे कहा था कि, "मेरे पिता एक लेखक थे और किसी ने क्रिकेट को लेकर मुझसे सवाल नहीं किया था और मेरा मानना है कि मेरे बेटे की तुलना भी मुझसे नहीं की जानी चाहिए और वो जो है उस पर फैसला होना चाहिए।" 

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