पीवी सिंधु से प्रेरित होकर, ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल की 14 वर्षीय संप्रीति ने राज्य को किया गौरवान्वित

राष्ट्रीय बालिका दिवस पीवी सिंधु से प्रेरित होकर, ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल की 14 वर्षीय संप्रीति ने राज्य को किया गौरवान्वित

ANAND VANI
Update: 2023-01-24 12:05 GMT
पीवी सिंधु से प्रेरित होकर, ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल की 14 वर्षीय संप्रीति ने राज्य को किया गौरवान्वित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस राष्ट्रीय बालिका दिवस पर, हम ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा 8 की उस छात्रा के बारे में बात करेंगे, जो देश की ही दूसरी बालिका से ही प्रेरित है। उसने देश की झोली में अनगिनत उपलब्धियां डालीं हैं। सभी को गौरवान्वित किया है। हम बात कर रहे हैं, 14 साल की संप्रीति मुखर्जी की, जो कि वर्ल्ड चैंपियन पीवी सिंधु की जबर्दस्त फैन है। वह भी एक दिन खुद उनकी ही तरह से वर्ल्ड चैंपियन बनने का सपना देखती है। 

19वीं सदीं तक खेल जगत पर पुरुषों का कब्जा था। धीरे-धीरे बदलते समय के अनुसार, खेल-कूद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ती गई। अब, कई भारतीय महिला पर्सनॉलिटी अपनी अगली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बन रहीं हैं। पीवी सिंधु भी उस सूची के शीर्ष स्थानों में जगह रखती हैं। 

संप्रीति ने अपने शब्दों में बयां किया कि कैसे उन्हें खेल और अपने रोल मॉडल से इतना लगाव हुआ। 

संप्रीति जब केवल आठ साल की थी, तब पहली बार पीवी सिंधु को टीवी पर सहजता से बैडमिंटन खेलते हुए देखा। संप्रीति के मुताबिक, पीवी सिंधु को खेलते हुए देखना किसी को कोर्ट पर डांस करते हुए देखने जैसा था। पोशाक, रैकेट, शटल, शॉट्स और मूवमेंट्स आदि सबकुछ देख इस खेल और खिलाड़ी दोनों से प्रेम बढ़ गया। उन्हें क्या पता था कि एक दिन पीवी सिंधु भारत का गौरव बनेंगी। संप्रीति ने सिंधु के मैचों को देखते हुए अपने खेल की शुरुआत कर दी। उनसे प्रेरित होकर बैडमिंटन सीखने के लिए एक अकादमी में दाखिला लेने के लिए वह अपने माता-पिता को मनाने में कामयाब रही। उसके माता-पिता, विशेष तौर से उसके पिता ने यह तय किया कि उसे इस खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के लिए जरूरी प्रैक्टिस और कोचिंग मिले।

संप्रीति ने बहुत कम उम्र से ही बैडिमिंटन का प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। उसके दिन की शुरुआत सुबह के 4 बजे ही हो जाती है। ताकि, वह ट्रेनिंग में जा सके। उसके पिता भी उसके सभी अभ्यास सत्रों में उसके साथ जाते थे। यह सुनिश्चित किया कि वह अपनी पढ़ाई और अपने जुनून के बीच एक अच्छा संतुलन भी बनाए रखे। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, उसकी प्रशिक्षण अवधि पूरे 6 दिन के लिए 8 घंटे तक बढ़ा दी गई। उसने जिला स्तर पर खेलना शुरू किया। अब, छह साल बाद, अपने कोच के प्रशिक्षण और माता-पिता के सपोर्ट के दम पर वह देश भर में राज्य स्तरीय बैडमिंटन टूर्नामेंट में अपने राज्य हरियाणा का प्रतिनिधित्व करती है।

संप्रीति ने इतनी कम उम्र में कई टूर्नामेंट जीते हैं। उसने 2022 में ही 4 टूर्नामेंट अपने नाम किया। जिनमें गुरुग्राम जिला बैडमिंटन चैंपियनशिप, पहला जूनियर ओपन टूर्नामेंट, किरनी बैडमिंटन टूर्नामेंट और ऑल जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप आदि शामिल है।

मैं कर सकती हूं

संप्रीति कहती हैं, “बैडमिंटन एक ऐसा खेल है जो मुझे मौज-मस्ती के साथ एक्टिव और स्वस्थ भी महसूस कराता है। इस खेल को खेलने से मैं खुद को मजबूत और आत्मविश्वास से लबरेज महसूस करती हूं। रैकेट का हर एक स्ट्रोक एक ‘व्हूश’ की ध्वनि उत्पन्न करता है, जो कि मेरे कानों के लिए संगीत की तरह से काम करता है। मुझे लगता है कि मैं अपने सटीक और सुनियोजित स्ट्रोक से दुनिया पर राज कर सकती हूं।’’
आज तक, मैंने कई टूर्नामेंट खेले हैं और कई पुरस्कार भी जीते हैं। मुझे पता है कि अभी और इंतजार करना होगा। मैं अपने सपनों का पीछा करते हुए एक दिन अपने आदर्श से मिलने की उम्मीद कर रहीं हूं। टोक्यो ओलंपिक जीतने के बाद उनके शब्द, "अगर मैं यह कर सकती हूं, तो हर कोई कर सकता है," अभी भी मेरे कानों में गूंजता है। इसने मुझे कोर्ट पर एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए प्रेरित किया। मैंने सभी नए फुटवर्क सीखे और अपने शॉट्स को परफेक्ट बनाना शुरू किया। पीवी सिंधु हमेशा मेरी सबसे बड़ी आदर्श रही हैं, लेकिन इस गेम के बाद वह मेरी स्टार बन गईंं।
मेरे जीवन का सपना है, बैडमिंटन में विश्व चैंपियन बनना और ट्रॉफी पकड़ना। जब भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है और राष्ट्रगान बजाया जाता है, तो मन गर्व से भर जाता है। उसके स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षकों को भी उस पर बहुत गर्व है। 
गुरुग्राम के सेक्टर 56 स्थित ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल सुश्री विभा गुप्ता ने कहा, “हमें गर्व और खुशी है कि वह अपने जुनून का पीछा कर रही है। ऑर्किड्स द इंटरनेशनल स्कूल उसके खेल को सर्वश्रेष्ठ बनने की उसकी पूरी यात्रा में अपना समर्थन जारी रखेगा। एक महिला खिलाड़ी दूसरी लड़की के खेल सीखने और उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना, यह दर्शाता है कि हम कितनी दूर आ गए हैं। मुझे उम्मीद है कि देश का हर घर अपनी लड़कियों को आगे बढ़ने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। चाहे वह खेल, संगीत, नृत्य या किसी अन्य विधा में हो।”

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