कोर्ट ने बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने से किया इंकार

याचिका खारिज कोर्ट ने बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने से किया इंकार

Anita Peddulwar
Update: 2023-03-17 06:08 GMT
कोर्ट ने बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने से किया इंकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने चंद्रपुर निवासी एक व्यक्ति की उस याचिका को ठुकरा दिया है, जिसमें व्यक्ति ने अपने 13 वर्षीय बेटे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि, यह संतान उसकी नहीं है, इसलिए वह बच्चे को गुजार भत्ता नहीं देगा, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद यह याचिका ठुकरा दी। 

 बच्चे पर बुरा असर पड़ेगा 
हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, किसी बच्चे का पिता कौन है, यह पता करने के लिए सीधे डीएनए टेस्ट का आदेश देना बच्चे की मानसिकता पर आघात पहुंचा सकता है। साथ ही यह सामाजिक रूप से बच्चे के सामने भविष्य में कई चुनौतियां भी खड़ी कर सकता है। यह कोई ऐसा विलक्षण मामला नहीं है जिसमें बच्चे के डीएनए टेस्ट का आदेश देने की जरूरत हो। इसमें यहीं नजर आ रहा है कि, एक नौकरीपेशा व्यक्ति अपने पिता होने की जिम्मेदारियों से बचने के लिए डीएनए टेस्ट की मांग कर रहा है। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने पिता की याचिका खारिज कर दी। 

यह था मामला
विवेक (परिवर्तित नाम) के माता-पिता का विवाह 15 अप्रैल 2006 को राजुरा में हुआ। अप्रैल 2007 में विवेक का जन्म हुआ। माता-पिता के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। पिता के दूसरी महिला से संबंध थे। इसे लोकर माता-पिता में झगड़ा होता था। अंतत: मां विवेक को लेकर घर से निकल गई। पिता प्रेमिका के साथ रहने लगा। बाद में महिला ने निचली अदालत में पति से गुजारा भत्ते के लिए याचिका दायर की। इसके जवाब में पिता ने दावा किया कि, विवेक उनकी संतान नहीं है। यहां तक कि, पिता ने डीएनए टेस्ट की भी मांग की। इसके बाद जेएमएफसी से लेकर तो हाईकोर्ट तक कई वर्षों तक यह मुकदमा चला। 26 मार्च 2021 को जेएमएफसी न्यायालय ने पिता की अर्जी स्वीकार कर विवेक के डीएनए टेस्ट का आदेश दिया। लेकिन चंद्रपुर सत्र न्यायालय ने इस आदेश को खारिज कर दिया। पिता ने हाईकोर्ट में याचिका कर डीएनए टेस्ट का आदेश देने की प्रार्थना की थी।
 

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