गौमूत्र प्रसंस्करण बंद, मशीन के बावजूद गोबर इकाई पर जड़ा ताला, तीन साल से बंद पड़ी इकाइयां, अब प्राइवेट फर्म के भरोसे निगम

नवाचार का बंटाधार गौमूत्र प्रसंस्करण बंद, मशीन के बावजूद गोबर इकाई पर जड़ा ताला, तीन साल से बंद पड़ी इकाइयां, अब प्राइवेट फर्म के भरोसे निगम

Manmohan Prajapati
Update: 2023-01-21 13:19 GMT
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!

छिंदवाड़ा। पांच साल पहले निगम की आदर्श गौशाला में हुए नवाचार का बंटाधार हो चुका है। लाखों खर्च कर जिन इकाइयों की शुुरूआत 2018 में की गई थी। वहां तीन सालों से काम बंद है। कोरोना काल के बाद बिगड़ी व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए न तो अधिकारियों ने काम किया और न ही नेताओं ने। अब प्राइवेट फर्म के माध्यम से इसके संचालन की बात कही जा रही है। ये सब तब कहा जा रहा है, जब पिछले दिनों हुई एमआईसी की बैठक में एक और गौशाला खोलने की सहमति सदस्यों के बीच बन चुकी है।

2018 में कांग्रेस सरकार के दौरान पाठाढाना की गौशाला को आदर्श गौशाला का रूप दिया गया था। तब यहां नवाचार करते हुए अधिकारियों ने नई इकाइयों की शुरूआत की थी। उद्देश्य था कि इन इकाइयों से निकलने वाले प्रोडक्ट से निगम की आय बढ़ाई जाएगी। वहीं निगम की इस गौशाला को प्रदेश की मॉडल गौशाला के रूप में विकसित किया जाएगा, लेकिन 2020 में बदली सरकार और कोरोनाकाल के चलते आगे हुआ कुछ नहीं। 

अब हालात ये हैं कि जो नवाचार शुरू किए गए थे। वह मार्च 2020 से बंद है। तीन साल होने को है। कोरोना काल तो खत्म हो गया है, लेकिन निगम का नवाचार शुरु नहीं हो पाया। लाखों खर्च कर बने शेड और मशीने बंद पड़ी है। कर्मचारी भी दोबारा नहीं रखे गए।

क्षमता बढ़ी नहीं, पशु बढ़ रहे
गौशाला में दो शेड पशुओं के लिए बनाए गए है। क्षमता 100 पशुओं को रखने की है, लेकिन वर्तमान में 113 पशु यहां है। जिसके लिए सुपरवाइजर सहित 10 कर्मचारी निगम द्वारा पदस्थ किए गए हैंं। ज्यादातर पशु अलग-अलग संगठनों द्वारा यहां पहुंचाए गए हैं। कर्मचारियों की मानें तो शहर से पकडऩे वाले आवारा पशुओं को लंबे समय से गौशाला लाया ही नहीं गया है।

ये इकाइयां हुई थी शुरू
गोबर लकड़ी निर्माण इकाई
गोबर और लकड़ी के मिश्रण से यहां गोबर लकड़ी निर्माण शुरू किया गया था। जिसके लिए इंदौर की तर्ज पर मशीन भी खरीदी गई। निगम अधिकारियों ने डेढ़ साल तो संचालन किया, लेकिन अब बंद है। गोबर-लकड़ी के मिश्रण से बने उत्पाद को हवन-पूजन के लिए शुरूआत में बेचा जा रहा था।

गौ-मूत्र प्रसंस्करण इकाई
गौशाला से निकलने वाले गौ-मूत्र को प्रसंस्करित करते हुए यहां गौ-मूत्र बनाया जा रहा था। जिसको बाजार में अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा था। इस इकाई को भी बंद कर दिया गया है। कोरोना काल के बाद इसका उत्पादन दोबारा शुरू ही नहीं किया गया। जबकि शहर में इसकी अच्छी डिमांड बन गई थी।

वर्मी कम्पोस्ट इकाई
गोबर से भी खाद बनाने का काम यहां शुरू किया गया था। जैविक खेती करने वाले किसानों को यहां से कम कीमत पर खाद उपलब्ध कराई जा रही है। सब्जी उत्पादक किसान इसे लेने भी गौशाला आ रहे थे, सबसे ज्यादा डिमांड मोहखेड़ क्षेत्र के किसानों के बीच थी। अब इसे भी बंद कर दिया गया है।

इनका कहना है
॥निगम की आदर्श गौशाला का बेहतर संचालन हो इसके लिए बराबर निरीक्षण किया जा रहा है। प्राइवेट फर्म के माध्यम से इसके संचालन की रूपरेखा तैयार की गई है। जल्द ही इस पर अमल भी किया जाएगा।
-धर्मेंद्र सोनू मागो, अध्यक्ष, नगर निगम

॥जो प्राइवेट संस्थाएं यहां गौशाला संचालन के लिए इच्छुक है। उनको देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रोजेक्ट प्लान तैयार है। जिसको लेकर सरकारी प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
-आरएस बाथम, सहायक आयुक्त, नगर निगम

Tags:    

Similar News