1 अक्टूबर से सभी लोन पर ब्याज को रेपो रेट से जोड़ें बैंक: RBI  

Banks to link interest rates to external benchmark: RBI
1 अक्टूबर से सभी लोन पर ब्याज को रेपो रेट से जोड़ें बैंक: RBI  
1 अक्टूबर से सभी लोन पर ब्याज को रेपो रेट से जोड़ें बैंक: RBI  
हाईलाइट
  • ब्याज दरों में 3 महीने में कम से कम एक बार बदलाव करने को कहा है
  • सभी बैंकों को रेपो दर सहित बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है
  • होम लोन
  • ऑटो लोन के साथ एमएसएमई सेक्टर को इससे जोड़ें बैंक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 1 अक्टूबर से सभी बैंकों को होम लोन, पर्सनल लोन और एमएसएमई सेक्टर को सभी नए फ्लोटिंग रेट वाले लोन को रेपो दर सहित बाहरी मानकों से जोड़ने का निर्देश दिया है। RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे होम लोन, ऑटो लोन के साथ एमएसएमई सेक्टर को इससे जोड़ें। इससे नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का लाभ कर्ज लेने वाले उपभोक्ताओं तक जल्दी मिलने की उम्मीद है।

3 महीने में एक बार बदलाव हो
शीर्ष बैंक ने रेपो जैसे बाहरी बेंचमार्क के तहत ब्याज दरों में 3 महीने में कम से कम एक बार बदलाव करने को कहा है। केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बाहरी मानक आधारित ब्याज दर को तीन महीने में कम से कम एक बार नए सिरे से तय किया जाना जरूरी होगा। करीब एक दर्जन बैंक पहले ही अपनी ऋण दर को रिजर्व बैंक की रेपो दर से जोड़ चुके हैं।

संतोषजनक नहीं 
रिजर्व बैंक ने गुरुवार को बयान में कहा कि ऐसा देखने को मिला है कि मौजूदा कोष की सीमांत लागत आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) व्यवस्था में नीतिगत दरों में बदलाव को बैंकों की ऋण दरों तक पहुंचाना कई कारणों से संतोषजनक नहीं है। इसी के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने सर्कुलर जारी कर बैंकों के लिए सभी नए फ्लोटिंग दर वाले पर्सनल या खुदरा ऋण और एमएसएमई को फ्लोटिंग दर वाले कर्ज को 1 अक्टूबर, 2019 से बाहरी मानक से जोड़ने को अनिवार्य कर दिया है।

इस बात से नाराजगी
RBI को इस बात से नाराजगी है कि रेपो दर में 0.85 फीसद कटौती के बाद भी बैंक इसका फायदा ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। RBI ने 2019 में रेपो दर में चार बार कटौती की है जिसमें कुल मिलाकर 1.10 फीसद की कटौती की गई है। 

अप्रैल से बैंक 0.85 फीसद तक की कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक का कहना है कि उसकी रेपो दर में 0.85 फीसद कटौती के बाद बैंक अगस्त तक केवल 0.30 फीसद तक ही कटौती कर पाए हैं। वहीं बैंकों का कहना है कि उसकी देनदारियों की लागत कम होने में समय लगता है जिसकी वजह से रिजर्व बैंक की कटौती का लाभ तुरंत ग्राहकों को देने में समय लगता है।
 

Created On :   5 Sep 2019 3:07 PM GMT

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