सरकार के कड़े प्रयासों के बावजूद बढ़ रही गेहूं और आटे की कीमतें
- सरकार के कड़े प्रयासों के बावजूद बढ़ रही गेहूं और आटे की कीमतें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आवश्यक रसोई वस्तुओं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के सरकार के कड़े प्रयासों के बावजूद, गेहूं और आटे समेत कई चीजों की औसत खुदरा कीमतों में पिछले एक साल के दौरान भारी बढ़ोतरी देखी गई है। पिछले कुछ महीनों में गेहूं और आटा सहित संबंधित उत्पादों की कीमतों में काफी वृद्धि हुई है। दिल्ली के थोक बाजारों के व्यापारियों के अनुसार, कम आपूर्ति और मजबूत मांग के कारण गेहूं की कीमतें रिकॉर्ड 2,570 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर गई हैं।
दिल्ली के व्यापारियों के अनुसार, भीषण गर्मी के कारण इस साल गेहूं का उत्पादन कम हुआ, जिससे कृषि उपज की घरेलू आपूर्ति प्रभावित हुई। दिल्ली की लॉरेंस रोड मंडी के जय प्रकाश जिंदल ने कहा कि कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, मौजूदा समय में गेहूं की कीमत 2,570 रुपये प्रति क्विंटल है। इस त्योहारी सीजन में आने वाले दिनों में कीमतें बढ़कर 2,600 रुपये होने की संभावना है।
14 मई, 2022 को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद से मंडी की कीमतें लगभग 2,150-2,175 रुपये प्रति क्विंटल पर चल रही थीं। जिंदल ने कहा कि इस साल उत्पादन कम रहा और सरकार ने सही समय पर निर्यात बंद नहीं किया। उन्होंने कहा, सरकार द्वारा गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने तक बहुत सारा गेहूं पहले ही निर्यात हो चुका था। यह पहले किया जाना चाहिए था।
कारोबारियों ने कहा कि गेहूं की कीमतों में जहां करीब 14-15 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, वहीं आटे की कीमतों में करीब 18-19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि गेहूं की कीमतों में वृद्धि के कारणों में अंतरराष्ट्रीय मांग-आपूर्ति की स्थिति, वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि और यूक्रेन-रूस संघर्ष जैसे विभिन्न कारक शामिल हैं।
दूसरी ओर, पिछले कुछ दिनों में चावल की कीमतों में गिरावट देखी गई है। व्यापारियों का दावा है कि नई फसल आने के बाद बासमती चावल की कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। इस बीच, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने 2 अक्टूबर को एक बयान में कहा कि गेहूं और चावल की खुदरा और थोक कीमतों में कमी दर्ज की गई और पिछले सप्ताह के दौरान गेहूं के आटे की कीमतें स्थिर रहीं।
पिछले दो वर्षो के दौरान एमएसपी वृद्धि के अनुरूप गेहूं और चावल की कीमतें बढ़ी हैं। इसमें कहा गया है कि 2021-22 के दौरान कीमतें तुलनात्मक रूप से कम थीं, क्योंकि कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ओएमएसएस के माध्यम से लगभग 80 एलएमटी खाद्यान्न खुले बाजार में उतार दिया गया था।
केंद्र सरकार नियमित रूप से गेहूं और चावल सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतों की निगरानी कर रही है और जहां आवश्यक हो वहां सुधारात्मक उपाय कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कीमतों के रुझान को ध्यान में रखते हुए, सरकार समय-समय पर घरेलू उपलब्धता बढ़ाने और आवश्यक खाद्य वस्तुओं की कीमतों को स्थिर करने और उन्हें सस्ती कीमतों पर पूरे भारत में उपभोक्ताओं के लिए सुलभ बनाने के विभिन्न उपाय करती है।
कीमतों को कम करने के लिए सरकार स्टॉक सीमा लागू करना, जमाखोरी को रोकने के लिए संस्थाओं द्वारा घोषित स्टॉक की निगरानी के साथ-साथ व्यापार नीति के उपकरणों में आवश्यक परिवर्तन जैसे आयात शुल्क का समीकरण, आयात कोटा में परिवर्तन, वस्तु के निर्यात पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाती है।
बढ़ती खाद्य कीमतों पर अंकुश लगाने के प्रयास में, सरकार ने हाल ही में घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। चूंकि भारत दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातकों में से एक है, इसलिए इस फैसले ने ग्लोबल सप्लाई चेन को भी प्रभावित किया।
सोर्सः आईएएनएस
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   8 Oct 2022 12:31 PM IST