- शेयर बाजार में तेजी, सेंसेक्स 249 अंकों की उछाल के साथ खुला
- दिल्ली विधानसभा बजट सत्र आज से होगा शुरू, अनिल बैजल के अभिभाषण से होगी शुरुआत
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राहुल का ट्वीट-'आप इतिहास बनाने में सक्षम, कोई आपको रोकने ना पाए'
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पीएम मोदी ने ट्वीट कर नारी शक्ति को किया सलाम
- अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी देशवासियों को शुभकामनाएं
रेलिगेयर फंड डायवर्जन केस : चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेजे गए शिविंदर, मानविंदर

हाईलाइट
- रेलिगेयर फंड डायवर्जन केस में शिविंदर, मानविंदर चार दिनों की पुलिस हिरासत में
- इन दोनों के अलावा तीन अन्य को भी चार दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है
- इन सभी पर रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के फंड की हेराफेरी में शामिल होने का आरोप है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पूर्व प्रमोटरों शिविंदर सिंह और उनके बड़े भाई मालविंदर मोहन सिंह को चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया।
इन दोनों के अलावा तीन अन्य को भी चार दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। इन सभी पर रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (RFL) के फंड की हेराफेरी में शामिल होने का आरोप है। इस हेराफेरी में कंपनी को 2,397 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।
अदालत में, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने आरोपियों की छह दिनों की रिमांड मांगी थी। जबकि मालविंदर के वकील ने तर्क दिया कि वह जांच में सहयोग कर रहे हैं। शिविंदर ने अदालत को बताया कि वह खुद धोखाधड़ी का शिकार है और हर संभव तरीके से जांच में सहयोग करना चाहते हैं।
इस मामले में शिविंदर, मालविंदर, पूर्व चेयरमैन और रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के प्रबंध निदेशक सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था।
शिविंदर और मालविंदर सहित अन्य पर आरोप है कि उन्होंने अपने फायदे के लिए गुपचुप तरीके से पब्लिक मनी का डायवर्जन किया।
इससे पहले EOW के एडिशनल पुलिस कमिश्नर ओपी मिश्रा ने कहा था, 'शिकायत में रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के मनप्रीत सिंह सूरी ने मालविंदर मोहन सिंह, शिविंदर मोहन सिंह, सुनील गोधवानी और अन्य के खिलाफ आरोप लगाए हैं।
इसमें कहा गया है रेलीगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड और उसकी सहायक कंपनियों पर पूर्ण नियंत्रण रखने वाले कथित व्यक्तियों ने खराब वित्तीय स्थिति वाली कंपनियों को लोन वितरित किए और RFL को खराब वित्तीय स्थिति में डाल दिया।'
मिश्रा ने कहा, 'इन कंपनियों ने जानबूझकर डिफॉल्ट किया जिससे RFL को 2397 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। मिश्रा ने कहा, 'कथित व्यक्तियों ने अपने फायदे के लिए व्यवस्थित तरीके से आम जनता के पैसों को डायवर्ट किया।'
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।