प्रगति में मानसून, खाद्यान्नों के उत्पादन का फिर बनेगा नया रिकॉर्ड!
नई दिल्ली, 12 जून (आईएएनएस)। मानसून के इस साल फिर मेहरबान रहने से देश में आगामी फसल वर्ष 2020-21(जुलाई-जून) में खाद्यान्नों के उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनने की उम्मीद बढ़ गई है।
समय से एक जून को दक्षिणी प्रांत केरल के तट पर दस्तक देने के बाद अब तक मानसून की प्रगति बेहतर बताई जा रही है, जिससे उत्साहित किसानों ने खरीफ सीजन के फसलों की बुवाई की तैयारी शुरू कर दी है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने आईएएनएस को शुक्रवार को बताया कि इस समय देश के जिन इलाकों में मानसून पहुंच चुका है वहां अच्छी बारिश हुई है और जहां मानसून अभी नहीं पहुंचा है वहां भी अच्छी बारिश हुई है। मानसून की प्रगति को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, एक दिन पहले तक मानसून की प्रगति 34 फीसदी अधिक थी। आईएमडी ने इस साल मानसून सामान्य रहने का पूवार्नुमान जारी किया है।
दक्षिण पश्चिम मानसून इस समय गोवा, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा के कुछ हिस्सों में प्रगति में है, लेकिन खरीफ फसलों की बिजाई की तैयारी पूरे देश में शुरू हो चुकी है। सिंचित क्षेत्र पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो कपास की बुवाई समाप्त होने वाली है और धान की नर्सरी लग चुकी है और 15 जून से रोपाई भी शुरू होने वाली है।
कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि कृषि जलवायु के आधार पर पूरे देश को मोटे तौर पर पांच क्षेत्रों में बांटा गया है जिनमें से सिंचित क्षेत्र में तो मानसून का इंतजार नहीं किया जाता है लेकिन जो बरसाती क्षेत्र है जहां की कृषि मुख्य रूप से बारिश पर ही निर्भर करती है वहां के किसानों को मानसून की अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार रहता है।
इस क्षेत्र की विडंबना है कि कभी अतिवृष्टि के कारण फसलें बर्बाद हो जाती है तो अनावृष्टि यानी सूखा पड़ने से भी फसल खराब हो जाती है। लेकिन खरीफ सीजन में उगने वाली दहलन व तिलहन फसलों के साथ प्रमुख खरीफ फसल धान की खेती भी इस क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर होती है। वहीं, बेहतर मानसून से समुद्र तटीय क्षेत्र में भी किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद बढ़ जाती है। वहीं, शुष्क क्षेत्र के अंतर्गत राजस्थान के मरूस्थल जैसे गर्म शुष्क क्षेत्र और लेह-लद्दाख जैसे शीत शुष्क क्षेत्र आते हैं। इसके अलावा पर्वतीय क्षेत्र हैं जहां बागवानी उत्पादों की खेती ज्यादा होती है। अच्छा मानसून असिंचित यानी बरसाती क्षेत्र के लिए वरदान है। यही कारण है कि सामान्य मासनसून रहने के पूर्वानुमान से अगले फसल वर्ष में देश में खाद्यान्नों के उत्पादन का नया रिकॉर्ड बनने की उम्मीद की जा रही है।
कृषि वैज्ञानिक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. ए. के. सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि मानसनू सामान्य रहने से कृषि उत्पादन इस साल पहले से बेहतर रह सकता है। खाद्यान्नों के उत्पादन के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, खाद्यान्नों के उत्पादन में भारत अगले फसल वर्ष में फिर एक नया रिकॉर्ड बनाएगा।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड 29.56 करोड़ टन उत्पादन का आकलन किया है और सरकार ने अगले साल 2020-21 के लिए 29.8 करोड़ टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
Created On :   12 Jun 2020 6:30 PM IST