यूक्रेन युद्ध का सर्वाधिक प्रभाव कमोडिटी की कीमतों पर रहेगा
- यूक्रेन युद्ध का सर्वाधिक प्रभाव कमोडिटी की कीमतों पर रहेगा: ईआईयू
डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का सबसे गंभीर असर कमोडिटी की कीमतों पर रहेगा, जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी। यह युद्ध जब तक जारी रहेगा, तब तक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल के उपर ही रहेंगे। इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू) की नयी वैश्विक परिदृश्य रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस के हाइड्रोकार्बन निर्यात पर प्रतिबंध और इसकी आपूर्ति बाधा की वजह से पहले से ही किल्लत झेल रहा बाजार और मुश्किलों का सामना करेगा।
ईआईयू की ग्लोबल फोरकास्टिंग निदेशक अगाथा दमार्सिस ने कहा कि गत साल यूरोपीय गैस की कीमतों में पांच गुणा तेजी देखी गयी थी और इस साल इसके दाम 65 फीसदी बढ़ सकते हैं। यूरोप के पास गैस का भंडार सीमित है और ठंड के मौसम में यहां गैस आपूर्ति चिंता का विषय बनी रहेगी। यूरोप रूस से आयातित गैस पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है, जिससे रूस भी कम मांग को देखते हुये अपने उत्पादन में कटौती करेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, कमोडिटी के ऊंचे दाम वैश्विक मुद्रास्फीति दर में तेजी लाने के जिम्मेदार होंगे। इस साल यह दर 26 साल के उच्चतम स्तर 7.7 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। रूस-यूक्रेन युद्ध के अपनी अर्थव्यवस्था पर पड़ते प्रभाव की चिंताओं के बावजूद कई देशों के केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू पाने के प्रयासों में तेजी ला रहे हैं। ऐसा अनुमान है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दरों में 225 आधार अंकों का सुधार ला सकता है।
यूरोपीय केंद्रीय बैंक भी जून के अंत तक बाजार में तरलता बढ़ाने के अपने प्रयासों को खत्म कर सकता है। कई बार केंद्रीय बैंक बाजार में तरलता बढ़ाने के लिये और ऋण तथा निवेश को प्रोत्साहित करने के लिये बाजार से दीर्घावधि के सिक्योरिटीज की खरीद करते हैं।रूस अल्युमिनियम, टाइटेनियम, पैलेडियम और निकेल सहित कई धातुओं का बड़ा उत्पादक है। गत साल इन धातुओं की कीमतों में तेजी दर्ज की गयी थी और युद्ध के जारी रहने तक इनकी कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रहेंगी।
इसका असर कई क्षेत्रों पर पड़ेगा, खासकर वाहन उद्योग पर। इस तेजी से पूरी दुनिया प्रभावित होगी लेकिन यूरोप पर इसका सर्वाधिक असर होगा। इसके अलावा गेंहू, मक्का, बार्ली आदि के दाम भी बढ़े रहेंगे। रूस और यूक्रेन दोनों गेहूं के बड़े निर्यातक हैं और पूरी दुनिया में जितनी कैलोरी की खपत होती है, उसमें से 12 प्रतिशत कैलोरी इन दोनों देशों के खाद्यान्नों से आती है।
रूस पर लगाये गये वित्तीय प्रतिबंधों के प्रभावों से वैश्विक अर्थव्यवस्था भी अछूती नहीं रही है। कमोडिटी के ऊंचे दाम और आपूर्ति बाधा इन्हीं चुनौतियों में से एक हैं। ये हालत इस साल के अंत तक बनी रहेगी क्योंकि ऐसा अनुमान है कि यूक्रेन पर जारी हमले इस साल के अंत तक जारी रहेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी देशों ने रूस की अर्थव्यवस्था को तबाह करने के लिये प्रतिबंध लगाये हैं और ईआईयू का अनुमान है कि यह स्थिति 2026 तक बनी रहेगी। प्रतिबंधों में सबसे अधिक प्रभावी रूस के केंद्रीय बैंक पर लगाये गये प्रतिबंध हैं। प्रतिबंध के कारण रूस के केंद्रीय बैंक की पहुंच विदेशों में जमा अपने विदेशी मुद्रा भंडार तक नहीं है, जिसकी वजह से वह बाहरी ऋण की किस्तों का भुगतान नहीं कर सकेगा, लेकिन इससे वैश्विक वित्तीय संकट नहीं शुरू होगा।
आईएएनएस
Created On :   25 April 2022 2:31 PM IST