अब 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनी मध्यम उद्यम
नई दिल्ली, 1 जून (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोमवार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) की परिभाषा को और व्यापक करते हुए घोषणा की कि 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार (टर्नओवर) या 50 करोड़ रुपये तक के निवेश वाली संस्थाएं मध्यम उद्यम की श्रेणी में होंगी।
यहां कैबिनेट की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सरकार द्वारा एमएसएमई के दायरे को व्यापक बनाने और अधिक व्यवसायों को समर्थन देने की घोषणा के बाद यह निर्णय लिया गया है।
इसके अलावा एमएसएमई के लिए कारोबार मानदंड में निर्यात से राजस्व को शामिल नहीं किया जाएगा, जो अपने कार्यों का विस्तार करने और विदेशी बिक्री को आगे बढ़ाने के लिए क्षेत्र को लचीलापन प्रदान करेगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 मई को एमएसएमई के लिए निवेश सीमा बढ़ाने की घोषणा की थी। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा था कि एमएसएमई के लिए कारोबार का एक अतिरिक्त मापदंड भी पेश किया गया है।
उस घोषणा के दौरान, सीतारमण ने निवेश और मशीनरी के साथ 20 करोड़ रुपये और 100 करोड़ रुपये के कारोबार वाले मध्यम उद्यमों की परिभाषा दी थी। कैबिनेट के ताजा फैसले के बाद इसका और भी विस्तार कर दिया गया है।
नए परिवर्तनों के अनुसार, एक करोड़ रुपये से कम के निवेश और पांच करोड़ रुपये के कारोबार वाले व्यवसायों को सूक्ष्म उद्यमों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। मौजूदा मानदंडों के तहत, विनिर्माण क्षेत्र में 25 लाख रुपये से कम और सेवा क्षेत्र में 10 लाख रुपये से कम के निवेश वाली कंपनी को सूक्ष्म उद्यम माना गया है।
मंत्रिमंडल ने इसे भी बदल दिया और अब सूक्ष्म उद्यमों के लिए एक एकीकृत मानदंड लागू किया जाएगा।
अब 10 करोड़ रुपये निवेश और 50 करोड़ रुपये के कारोबार वाले उद्योग लघु उद्यमों के अंतर्गत आएंगे। वहीं, 20 करोड़ रुपये निवेश और 250 करोड़ रुपये कारोबार वाले उद्यम मध्यम उद्यम की श्रेणी में आएंगे।
कैबिनेट के फैसले के बारे में मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बदलावों से छह करोड़ एमएसएमई को फायदा होगा, जो एक साथ 11 करोड़ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराती हैं।
Created On :   1 Jun 2020 7:00 PM IST