मंदी ने आर्थिक प्रबंधन को लेकर सरकार की छवि को पहुंचाया नुकासान

Recession damage the image of government regarding economic management
मंदी ने आर्थिक प्रबंधन को लेकर सरकार की छवि को पहुंचाया नुकासान
मंदी ने आर्थिक प्रबंधन को लेकर सरकार की छवि को पहुंचाया नुकासान
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नई दिल्ली, 30 जनवरी (आईएएनएस)। बढ़ती महंगाई, सामान्य आर्थिक मंदी के साथ-साथ कम रोजगार सृजन पर चिंताओं ने केंद्र सरकार की छवि को नुकसान पहुंचाया है। एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

हाल ही में किए गए आईएएनएस-सीवोटर प्री बजट सर्वे के अनुसार, इन कारकों की वजह से केंद्र सरकार के आर्थिक प्रदर्शन से लगभग 47 प्रतिशत लोगों ने नाखुशी जाहिर की।

अर्थिक मोर्चे पर केंद्र सरकार के प्रदर्शन को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में 46.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह उम्मीद से भी बदतर रहा।

दस साल के सर्वेक्षण से पता चला कि 2019 में उन सर्वेक्षणों में से 39.6 प्रतिशत लोगों ने इस विकल्प को चुना था। जबकि 2015 में जब सरकार ने अपना पहला पूर्ण बजट पेश किया, तो यह संख्या 29.5 प्रतिशत थी।

हाल ही में, भारतीय अर्थव्यवस्था को गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी), कृषि संकट, स्थिर मजदूरी और तरलता की कमी के कारण कम उपभोक्ता मांग का सामना करना पड़ा है।

मंदी के रूप में संदर्भित इस प्रवृत्ति ने देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर को नीचे गिरा दिया है, इसके अलावा नौकरियां भी छिनी हैं।

ऑटोमोबाइल, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और कैपिटल गुड्स जैसे सेक्टर पहले ही मंदी के चलते भारी दबाव में आ गए हैं।

राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार, 2019-20 में वास्तविक जीडीपी में 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। वहीं वर्ष 2018-19 में यह 6.8 प्रतिशत था।

ये आंकड़े उद्योग के प्रमुख क्षेत्रों में मंदी के बाद विकास दर में भारी गिरावट दिखाते हैं और अब सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में 11 साल की गिरावट दर्शाते हैं। दूसरी छमाही में विकास दर घटकर 4.5 प्रतिशत हो गई थी।

महंगाई (मुद्रास्फीति) के संदर्भ में, खाद्य पदार्थो की अधिक कीमतों और अन्य कारणों पर आधारित भारत की मुद्रास्फीति की वार्षिक दर सात महीने के उच्च स्तर 2.59 पर पहुंच गई। वहीं नवंबर में यह 0.58 प्रतिशत थी।

Created On :   30 Jan 2020 10:30 AM GMT

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